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Daily Insider Desk
• Sun, 17 Jul 2022 5:55 pm IST

ब्रेकिंग

स्टांप और पंजीयन में आसान की प्रक्रिया, बीस दिनों में दिखी तीन गुना प्रगति: रविंद्र जायसवाल

लखनऊ। प्रदेश के स्टांप तथा पंजीयन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल ने रविवार को विभाग की 100 दिवसीय कार्ययोजना और उपलब्धियों पर प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि विभाग ने 100 दिनों में पारिवारिक सौहार्द बढ़ाने, रोजगार सृजन, ऑनलाइन सुविधाओं से बढ़ी पारदर्शिता, टोकन डिस्प्ले सिस्टम और समग्र विभागीय कार्यों से इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में प्रदेश उन्नति प्राप्त कर रहा है। मंत्री ने बताया कि अभी तक जनसामान्य द्वारा अपने रक्त सम्बन्धों में नैसर्गिक प्रेम के कारण पंजीकृत कराये जा रहे दानपत्रों पर भी कलेक्टर सर्किल रेट से आगणित बाजार मूल्य पर बैनामा विलेख के समान स्टाम्प शुल्क अदा किये जाने के प्रावधान थे। विभाग द्वारा 100 दिन की कार्य योजना में लिए गये संकल्प के अनुसार रक्त एवं वैवाहिक सम्बन्धी दानपत्रों में स्टाम्प शुल्क में छूट प्रदान कर दी गयी है। वर्तमान में दानपत्र पर 18 जून को शासनादेश जारी करते हुए अधिकतम 5000 रुपये का स्टाम्प शुल्क लिया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि अधिसूचना जारी होने के मात्र 20 दिनों में ही 15023 रक्त सम्बन्धी दान विलेखों का पंजीकरण किया जा चुका है, जबकि पूर्व में प्रति माह लगभग 5000 दानपत्रों का पंजीकरण किया जा रहा था।

मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि कि अभी तक छोटे मूल्य के स्टाम्प पत्रों को प्राप्त करने के लिए स्टाम्प वेण्डरों के पास जाना पड़ता था जो तहसील या अन्य दूरस्थ स्थान पर उपलब्ध होते थे। इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। सरकार द्वारा जन सामान्य को विभिन्न कार्यों में छोटे मूल्य के स्टाम्प पत्रों को सुगमता से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। विभाग द्वारा ग्राम और नगर पंचायत स्तर पर कॉमन सर्विस सेन्टर, उचित दर विक्रेता (सरकारी राशन विक्रेता-कोटेदार) के माध्यम से छोटे मूल्य के -स्टाम्प पत्र उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की गई है। यह भी बताया कि पूर्व में बड़े नगरों में स्थित उप निबन्धक कार्यालयों में असमान क्षेत्राधिकार होने के कारण एक कार्यालय में बहुत बड़ी मात्रा में लेखपत्र पंजीकरण के लिए प्रस्तुत हो रहे थे। वहीं दूसरे कार्यालय में औसत से बहुत कम मात्रा में लेखपत्र प्रस्तुत हो रहे थे। इस व्यवस्था से अत्यधिक लेखपत्रों के प्रस्तुत होने से संबंधित कार्यालय में पक्षकारों की अधिक भीड़ एकत्र होती थी और विलम्ब होता था। सरकार द्वारा उपनिबन्धक कार्यालयों में लागू किये गये समवर्ती क्षेत्राधिकार (Concurrent Jurisdication) को सृजित करने से लेखपत्रों के प्रस्तुतीकरण का कार्य समानुपातिक रूप से होना सम्भव हुआ है। वर्तमान व्यवस्था से सभी उप निबन्धक कार्यालयों में पंजीकरण का कार्य समान होने से लेखपत्रों का गुणवत्ता पूर्ण परीक्षण सम्भव हुआ है और लोगों को भी प्रतीक्षा करने से मुक्ति मिल रही है। सरकार द्वारा प्रदेश के 18 जनपदों में स्थित 19 उप निबन्धक कार्यालयों के समूह में यह व्यवस्था लागू की जा रही है।

उन्होंने बताया कि उपनिबन्धक कार्यालयों में लेखपत्रों के पंजीकरण के लिए एक पटल पर एक साथ कई पक्षकार उपस्थित हो जाते थे। जिससे एक समय में एक पटल पर अत्यधिक भीड़ एकत्र हो जाने से पंजीकरण की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती थी और जनसामान्य को भी असुविधा का सामना करना पड़ता था। सरकार द्वारा निर्णय लेते हुए प्रत्येक उपनिबन्धक कार्यालय में टोकन डिस्प्ले सिस्टम स्थापित कराये गये हैं। इस व्यवस्था से पक्षकारों को एक स्थान पर बैठकर अपने कम की सूचना मिल जाती है जिससे उनके लेखपत्र के पंजीकरण का कार्य सरलता सहजता और पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हो रहा है। इससे जनसामान्य को सुविधा हुई है और शासकीय कार्यों के सम्पादन के लिए अच्छा वातावरण प्राप्त हो रहा है।

मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि स्टाम्प और पंजीयन विभाग द्वारा 100 दिन में सम्पादित किये जाने वाले कार्यों के संकल्प के अनुसार प्रदेश के समस्त उप निबन्धक कार्यालयों में पारदर्शिता को देखते हुए सीसीटीवी कैमरा स्थापित कराये गये हैं। इस व्यवस्था से फील्ड स्तर के कार्मिकों के कार्य और आचरण तथा आम जनता के प्रति उनके व्यवहार पर निगाह रखा जाना आसान हुआ है। जनसामान्य को असुविधा पहुंचाने और कार्यालय कार्य में बाधा पहुंचाने वाले अराजक तत्वों पर भी निगाह रखी जा सकेगी। उप निबन्धक कार्यालयों में स्थापित सीसीटीवी फुटेज की निगरानी जनपद स्तर पर सहायक महानिरीक्षक निबन्धन द्वारा किया जा रहा है। सम्पूर्ण व्यवस्था पर प्रभावी नियंत्रण रखने के लिए मुख्यालय स्तर पर स्टेट कमाण्ड सेंटर स्थापित किया गया है। सम्पूर्ण व्यवस्था से निबन्धन विभाग में सुचिता स्थापित हो रही है। उन्होंने बताया कि पक्षकारों के द्वारा अप्रयुक्त और बिगड़े हुए स्टाम्प पत्रों की वापसी और उनमें निहित धनराशि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरलीकृत कर दिया गया है। वर्तमान में साफ्टवेयर के माध्यम से ओटीपी आधारित स्टाम्प पत्र में निहित मूल्य की वापसी के लिए सरल व्यवस्था लागू की गयी है। जिससे सम्बन्धित पक्षकार अपने स्टाम्प पत्रों में निहित मूल्य और धनराशि की प्राप्ति ऑनलाइन आवेदन करते हुए अपने खाते में स्वयं प्राप्त कर रहे हैं। पूर्व में अप्रयुक्त और बिगड़े हुए में स्टाम्प पत्रों की वापसी शासन के आदेश के बाद महानिरीक्षक निबन्धन, उत्तर प्रदेश, उपसहायक महानिरीक्षक निबन्धन के आदेशों के तहत विभिन्न चरणों में हो पाती थी। विभाग के द्वारा लिये गये संकल्प के अनुसार जनसमान्य को अपने स्टाम्प पत्रों की वापसी और उनमें निहित धनराशि की प्राप्ति बहुत ही आसानी से हो रही है।

रविंद्र जायसवाल ने कहा कि पूर्व में उद्योगों की स्थापना के समय बैंक गारण्टी आयुक्त स्टाम्प के पक्ष में बन्धक किया जाता था। बैंक गारण्टी बन्धक रखने से मुक्त किये जाने तक की प्रक्रिया जिले से लखनऊ तक सम्पादति होती थी। वर्तमान में यह निर्णय लिया गया है कि बैंक गारण्टी सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी के पक्ष में बन्धक की जाय। इससे जिले स्तर पर ही बैंक गारण्टी बन्धक रखने एवं मुक्त करने की प्रक्रिया सम्भव हो रही है। इससे उद्यमियों के समय की बचत हुई तथा भाग-दौड़ भी कम हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की बेहतर कानून व्यवस्था से उद्योगों को बढ़ावा मिला है और अचल सम्पत्तियों के कय-विक्रय, किरायानामा आदि में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश में दोबारा सरकार की वापसी से इस प्रक्रिया को और गति मिली है। निष्पादित विलेखों और प्राप्त आमदनी से यह तथ्य स्पष्ट होता है। 1 अप्रैल 2018 से 30 जून 2018 के बीच कुल लेखपत्रों की संख्या 959882 थी, जिससे कुल 3756 करोड़ रुपयों की आय हुई। जबकि 1 अप्रैल 2022 से 30 जून 2022 तक कुल लेख पत्र की संख्या 1202559 थी, जिससे कुल 5858 करोड़ रुपयों की आय हुई। उन्होंने बताया कि 01 जनवरी 2018 के बाद पंजीकृत लेखपत्रों की सत्य प्रतिलिपि ऑनलाइन सेवा के माध्यम से पक्षकारों को घर बैठे उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की जा रही है। वर्तमान में ऑफलाइन निर्गत एक पृष्ठ के लेखपत्र पंजीकृत प्रमाण-पत्र की ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने का प्रावधान किया जा रहा है। प्रथम चरण में वर्ष 2005 तक के लेखपत्रों का स्कैनिंग एवं डिजिटाईजेशन कराते हुए स्कैण्ड लेखपत्रों को विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था प्रकियाधीन है। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि इसी प्रकार कृषि भूमियों के बंधक विलेखों का ऑनलाइन पंजीकरण एवं डिजिटल हस्ताक्षर के बाद ऑनलाइन वापस किये जाने का प्रावधान किया जा रहा है। उपनिबन्धक कार्यालयों में उपस्थित होने वाले पक्षकारों को सामान्यतया लेखपत्रों की तैयारी से सम्बन्धित जानकारी के अभाव में तीसरे व्यक्ति (बिचौलियों) के चंगुल से बचाने के लिए प्रत्येक उपनिबन्धक कार्यालयों में अपेक्षित अभिलेखों की सूचना देने के लिए फ्रन्ट ऑफिस मैनेजमेंट सिस्टम और हेल्पडेस्क की स्थापना किया जाना प्रक्रियाधीन है। साथ ही प्रदेश के समस्त जनपदों में अभिलेखों की अभिरक्षा के लिए अत्याधुनिक केन्द्रीय अभिलेखागार बनाया जाना प्रस्तावित है।