बरेली: उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को संबोधित जिला अधिकारी को ज्ञापन दिया और बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में खाद्य पदार्थों तथा होटल के कमरों अस्पतालों के बेड पर जीएसटी लगाया जा रहा है। इसको वापस करने की मांग की है उन्होंने कहा कि पूरे देश में एक जुलाई 2017 से एक टेक्स् एक देश के नाम पर जीएसटी को लाया था। जिसे अभी तक जीएसटी काउंसिल 47 बैठकों में से 12 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं जिससे सरलता आने के बजाय प्रतिदिन घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। व्यापारी एवं कर अधिवक्ताओं को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल में लाया जाना चाहिए।
कहा कि जो छोटे व्यापारी उद्यमी गांव कस्बे में अपनी वस्तुओं पर ब्रांड लगाकर विक्रय करते हैं। उनको जीएसटी किस श्रेणी में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंडी में देखने वाला गेहूं धान दलहन तिलहन मसाले को भी अन्य सामान हो। वह जीएसटी के दायरे में आए हैं। चावल मील का चावल पर लेबल लगाकर बेचेगा तो जीएसटी बढ़ जाती है इससे महंगाई को बढ़ावा मिलता है मंडी में किसान अपनी कृषि जींस लेकर आता है। ढेर लगाकर अपनी किसी जींस को भेजता है।
व्यापारी बैग में भरता है। इसमे भी जीएसटी लगाया जा रहा है। बैठक में तय2 हुआ था कि 18 जुलाई से होटलों में कमरों पर भी जी एस टी लगाया जा रहा है, जिससे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है। लाखों बेरोजगार हो चुके हैं। जो अभी तक के दायरे में नहीं थी। उनको भी जीएसटी के दायरे में व्यापार मंडल ने खाद्य पदार्थ और होटलों के कमरों पर जीएसटी लगाने का उप्र उधोग व्यापार मंडल ने विरोध किया है। ज्ञापन के दौरान राजकुमार अग्रवाल , श्याम मिठवानी , मोहसिन आलम , कैलाश मित्तल , ईशान सक्सेना , गाजी खान , तरुण अग्रवाल आदि मौजूद रहे।