बरेली: लखनऊ और दिल्ली के बीच में स्थित बरेली को नाथ नगरी भी कहा जाता है, जिसका कारण है बरेली शहर की चारों दिशाओं में स्थित भगवान शिव के मंदिर। इन्हीं में से एक मंदिर है अलखनाथ। बरेली के प्राचीन मंदिरों में से एक अलखनाथ मंदिर किला इलाके में स्थित है। ये मंदिर आनंद अखाड़े द्वारा संचालित है और नागा साधुओं की भक्तस्थली है। वैसे तो इस मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
धर्म की रक्षा के लिए बना मंदिर
इस मंदिर के बारे में प्राचीन मान्यता है कि वर्षों पहले वैदिक धर्म की रक्षा के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया था। जब मुगल शासनकाल में हिंदुओं को प्रताणित किया जा रहा था और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था तो नागा साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए आनन्द अखाड़े के बाबा अलाखिया को बरेली भेजा। बाबा अलाखिया ने यहां पीपल के पेड़ के नीचे कठोर तपस्या की और शिवलिंग की स्थापना की। बाबा ने शिव भक्तों को विश्वास दिलाया कि कोई मुस्लिम शासक कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा और मुस्लिम शासकों को मुंह की खानी पड़ी। आज भी मंदिर के बाहर बोर्ड पर साफ लिखा है कि यहां पर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। बाबा अलाखिया के नाम पर ही इस मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर पड़ा।
पहले सोमवार को उमड़ेगी भक्तों की भीड़
मंदिर के मुख्यद्वार पर 51 फिट ऊंची बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में रामसेतु का वो पत्थर भी है, जो पानी में तैरता है। मंदिर परिसर में ही शनि शिंघनापुर का मंदिर, पंचमुखी हनुमान और नवग्रह मंदिर भी है। सावन के पहले सोमवार को लेकर मंदिर की तरफ से सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सोमवार को मंदिर में बड़ी तादात में शिव भक्त जलाभिषेक के लिए पहुचेंगे, जिसको लेकर पुलिस और प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।