सिद्धार्थनगर: जिले में खरीफ की फसल के
लिए प्रयाप्त बारिश न होने से किसान परेशान हैं। उन्हें अब सूखे का डर सताने लगा है। सिंचाई
के लिए किसानों का सहारा बनी नहरें अब सूखने की कगार पर हैं। वहीं, जिम्मेदार अधिकारी किसानों की इस समस्या का निदान ढूंढने में लगे हैं।
खेतों में सूख रही धान की फसलों को पानी की सख्त जरूरत है। कुछ फसलों में पम्प सेट चलाकर पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन सूखे का आलम ये है कि जमीन पानी की कमी के कारण फट गयी है। जिले में सिंचाई के लिए प्रयाप्त साधन हैं। नहरों का जाल पूरे जिले में बिछा है। हर ग्रामसभा में ट्यूबवेल भी लगे हैं, लेकिन वे सिर्फ हाथी का दांत साबित हो रहे हैं। नहरें सिल्ट और खर पतवार से पटी पड़ी हैं। ऐसे में प्रगतिशील किसान तो निजी संसाधनों से सिंचाई की जरूरत पूरी कर ले रहे हैं, लेकिन गरीब किसानों के सामने सिर्फ कुदरती बारिश का ही सहारा है। किसानों को सरकार से उम्मीद है कि उनकी इन दिक्कतों को देखते हुए इस जिले को जल्द से जल्द सूखाग्रस्त घोषित किया जाए।
डीएम ने कहा- स्थिति पर रखी जा रही है नजर
सूख रही धान की फसल और जिले में बढ़ रहे सूखे के हालात पर जिलाधिकारी संजीव रंजन ने कहा कि उनकी पूरी टीम स्थिति पर नजर बनाए हुए है। पानी की कमी को पूरा करने के लिए लहरों में पूरी तरह से पानी खोल दिया गया है और हर क्षेत्र में पानी पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तालाबों में भी पानी कम होने की वजह से नहरों के टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसके अलावा जो भी नलकूप हैं, उनकी मरम्मत कराकर उससे भी सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था कराई जा रही है।
डीएम संजीव रंजन ने कहा कि पानी ना होने से बेशक किसान बहुत
परेशान हैं और अगर बारिश नहीं हुई तो जिला प्रशासन द्वारा की गई पानी की व्यवस्था
की कोशिशें नाकाफी ही होंगी। ऐसे में प्राकृतिक रूप से बारिश की जरूरत तो हमेशा से
रही है और आज भी है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कुछ दिन में बारिश जरूर
हो जाएगी और किसानों के चेहरे पर खुशी दोबारा लौटेगी। लेकिन, अगर हालात ऐसे ही रहे तो जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने के
लिए शासन स्तर पर लिखा जाएगा।