केरल हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को 24वें हफ्ते में गर्भपात कराने की मंजूरी दे दी। और इस पूरी प्रक्रिया के संचालन के लिए डॉक्टरों की टीम गठित करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस वीजी अरुण ने 15 साल की किशोरी की याचिका पर सुनवाई की। और साफ तौर पर निर्देश दिए कि, अगर बच्चा जन्म के समय जीवित रहता है। तो अस्पताल यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे को अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधा और इलाज मिलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि, अगर याचिकाकर्ता बच्चे की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है तो राज्य और एजेंसियां उसकी जिम्मेदारी लेंगी। साथ ही बच्चे को चिकित्सीय सहायता और सुविधाएं प्रदान करेंगी।
नाबालिग की व्यथा सुनते हुए जज ने कहा, हम नाबालिग पीड़िता के जीवन के कुछ कठिन सवालों के आगे कानून में दी गई व्यवस्था से आगे जाकर उसे गर्भपात कराने की अनुमति देने के पक्ष में हैं।