वैज्ञानिको ने मंकीपॉक्स के जीनोमिक संरचना का अध्ययन किया। जिसमें वैज्ञानिकों को मंकीपॉक्स का जीनोम, कोरोना वायरस से सात गुना ज्यादा बड़ा मिला है।
साथ ही अध्ययन में पता चला है कि, केरल निवासी देश के पहले मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज में दक्षिण अफ्रीक का वैरिएंट है जो अन्य वैरिएंट की तुलना में कम असरदार है। बल्कि इसका इलाज भी आसान है।
वैज्ञानिक के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है। जबकि कोरोना RNA वायरस है। डीएनए वायरस बार-बार अपना स्वरूप नहीं बदलते हैं। यही वजह है कि मंकीपॉक्स के बहुत अधिक वैरिएंट या क्लैड का विस्तार नहीं होगा। एनआईवी की वैज्ञानिक ने कहा, भारत को चिंता करने की जरूरत है। निगरानी जरूर बढ़ानी चाहिए। लक्षणों वाले लोगों का परीक्षण करें और संक्रमित रोगियों को अलग करें।