बस्ती: मंगलवार को प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में कलेक्ट्रेट परिसर में महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की जयन्ती के परिप्रेक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ चिकित्सक एवं साहित्यकार डा. वीके.वर्मा ने कहा कि वसंत पंचमी की बात चले और सरस्वती पुत्र निराला की याद न आए, यह संभव नहीं। ‘वर दे वीणा वादिनी’ का महाघोष करने वाला यह महाकवि अपनी अमर वाणी से हिंदी कविता में अमर हो गया। उनकी रचनाओं में जहां वसंत का उल्लास है तो ‘सरोज स्मृति’ की पीड़ा भी। वसंत के कुछ पहले ही चीनी सेना का भारत पर आक्रमण हुआ था और निराला ‘तुलसीदास’ से होते हुए ‘राम की शक्तिपूजा’ तक जा पहुंचे थे। वे युगों तक याद किये जायेंगे।
साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि महाकवि निराला के इतने किस्से हैं कि वे जीते-जी मिथक बन चुके थे। प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू उनके मित्र थे और अक्सर उनका हाल-चाल लेते रहते थे। यही नहीं, महादेवीजी के जरिये उन्होंने उनकी आर्थिक मदद की भी व्यवस्था कराई थी। कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 21 फरवरी 1896 को बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में हुआ। इस जन्मतिथि को लेकर अनेक मत हैं, लेकिन इस पर विद्वतजन एकमत हैं कि 1930 से निराला वसंत पंचमी के दिन अपना जन्मदिन मनाया करते थे। ‘महाप्राण’ नाम से विख्यात निराला छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक हैं।