बरेली: देश में आज गुरुपूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। हर कोई अपने गुरु को याद करके उनके प्रति आभार व्यक्त कर रहा है। बरेली में नगर मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत राजीव पांडेय ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर अपने गुरुओं को याद किया। उन्होंने अब तक की अपनी सफलता का क्रेडिट भी अपने गुरुजनों को दिया।
मजिस्ट्रेट राजीव पांडेय सूबे में कई जगहों पर तैनात रहे हैं।
उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐसी घटनाओं को अपनी समझदारी और अनुभवों से
रोका है, जिनको रोकना बहुत
ही मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे गुरुदेव का आशीर्वाद ही था।
सभी गुरुओं को किया नमन
सिटी मजिस्ट्रेट राजीव पांडेय ने डेली इनसाइडर से विशेष
बातचीत में गुरु पूर्णिमा के मौके पर बताया कि भारतीय संस्कृति में गुरु की
महत्वता पहले से पहले से वर्णित है। गुरु को भगवान से ऊपर दर्जा दिया गया है। मेरे
जीवन में भी गुरु का महत्त्व है। बिना गुरु के जीवन में सफल होना मुश्किल है। मेरे
जीवन में मुझे जो शिक्षा प्राइमरी स्कूल, कॉलेज, डिग्री कॉलेज में
दी गई। उस वजह से मैं इस पद पर पहुंचा। गुरु पूर्णिमा पर मैं सभी गुरुओं को नमन
करके उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।
उन्होंने बताया कि मेरे जीवन की सफलता में वनस्पति विज्ञान
के डीन अरविंद दुबे का विशेष योगदान रहा, जिनकी वजह से मैं
इतनी ऊंचाई तक पहुंच पाया। आज भी मैं उनसे बात करता हूं। वर्षों से उनसे लगातार
मेरा संपर्क बना हुआ है।
राजीव पांडेय ने बताया कि उनकी शुरुआती शिक्षा मथुरा में
हुई। उनके पिता के आर इंटर कॉलेज में लेक्चरार थे। वहां अमरनाथ पब्लिक स्कूल से
उनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ हुई। इसके बाद उनके पिता का उनके गांव के एक स्कूल
में ट्रांसफर हो गया था। वहां उन्होंने कक्षा 6 से 8 तक गांव में ही
शिक्षा प्राप्त की। वह अपने समय में मेधावी छात्र रहे, जिस वजह से उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली। जीआईसी इटावा से
उन्होंने कक्षा 8 से 12 तक शिक्षा
प्राप्त की।
गुरुओं को दिया सफलता का श्रेय
12वीं के बाद
बीएससी अजीत कॉलेज से टॉप की और बाद में इसी कॉलेज से एमएससी भी की। बाद में बीएड तिलक
कॉलेज औरिया से किया। यूनिवर्सिटी में
उनके जिले में तीसरी पोजीशन थी। इन सबकी सफलता में गुरुजी की खास कृपा थी। मेरे गुरु
जी बहुत सख्त थे। पढ़ाई के प्रति उनकी कठोरता उस समय बुरी लगती थी, लेकिन अब सोचता हूं तो लगता है कि कितने दूरदर्शी थे वह।
वह हमारा भविष्य बुन रहे थे। उन्होंने हमें बिना किसी स्वार्थ ठोंक पीटकर खरा सोना
बना दिया।