हमें अपनी जिंदगी में अपनों की कमी तब खलती है। जब हम उस मुकाम पर पहुंच जाते हैं। जहां हमारे अपने हमें देखना चाहते हैं। और उस मुकाम तक पहुंचाने में हमारे लिए अपना बेस्ट देते हैं। लेकिन वो हमारी खुशियों में शरीक नहीं होते हैं।
ऐसा ही एक लम्हा आया 85 घुड़सवार सिपाहियों के बीच सर्वांग सर्वोत्तम चुने गए कांस्टेबल सत्यम सिंह की जिंदगी में। पुलिस अकादमी के परेड ग्राउंड में सत्यम के चेहरे पर खुशी तो थी, लेकिन पिता को असमय खोने का भाव साफ नजर आ रहा था। यूपी के देवरिया जिले के भलुअनी गांव निवासी स्व. वेदबाहू सिंह के सबसे छोटे और पांचवे बेटे सत्यम की सफलता का नजारा अपनी आंखों से देखने के पहले ही पिता दुनिया से चल बसे।
सत्यम का हमेशा से सपना था कि पिता पासिंग आउट परेड का गवाह बनें। लेकिन ऐसा न हो सका। जब सत्यम को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर डीजी ट्रेनिंग ने सम्मानित किया गया। तो सत्यम ने अपने पिता को खूब मिस किया। सत्यम ने बताया कि, पुलिस अकादमी उसकी घुड़सवारी की कला की कायल है। सत्यम के दो बड़े भाई सीआरपीएफ के जवान हैं। घोड़ा जंप, जंगल ट्रेनिंग और फायरिंग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के कारण सत्यम को सर्वांग सर्वोत्तम कैडिट चुना गया।
सत्यम ने 2020 में बीएसी की पढ़ाई पूरी की। 25 नवंबर 2021 को ट्रेनिंग करने मुरादाबाद आ गए। और पहली पोस्टिंग बनारस कमिश्नरेट में मिली। कठिन परिश्रम और आगे बढ़ने की ललक के कारण सर्वांग सर्वोत्तम चुने जाने से सत्यम गदगद हैं। सरल स्वभाव के चलते कांस्टेबल सत्यम डॉ. भीमराव आंबेडकर पुलिस अकादमी का दुलारा बन गया है। सत्यम की सफलता पर सभी ने उसे शुभकामनाएं दीं।
सत्यम ने बताया कि सर्वांग सर्वोत्तम कैडेट चुने जाने के बाद से ही चारों तरफ से बधाई मिल रही है। प्रशिक्षकों के अलावा पुलिस उच्चाधिकारियों ने गले लगाकर उसके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनांए दीं। पुलिस अकादमी के एडीशनल एसपी ने मोबाइल फोन गिफ्ट देकर हौसला अफजाई की। सत्यम ने कहा कि सभी की उम्मीदों का खरा उतरूं और घुड़सवारी में यूपी का नाम पूरे देश में रोशन करूं, यह उनकी एक मात्र तमन्ना है।