हमारे देश में कई ऐसे होनेहार बच्चे हैं जो आर्थिक तंगी का शिकार हो जाते हैं। और कई बार उन्हें पिता का सहारा बनने के लिए पढ़ाई तक छोड़नी पड़ती है। और कुछ कीचड़ में कमल खिलाते हैं।
इन्ही में से एक नाम है अंजलि का। जो कि, ग्रामीण परिवेश से है। परिवार में पिता अकेले कमाने वाले थे। जो पेशे से राज मिस्त्री थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से स्वास्थ्य कारणों से घर पर ही हैं। संघर्ष बड़ा था, आमदनी बहुत सीमित। माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। लेकिन परिस्थितियां बेहद मुश्किल रही। बावजूद इसके, अंजलि ने हार नहीं मानी और अपना फोकस पढ़ाई पर ही रखा। उसे पता था कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, लिहाजा परेशानियों को उसने खुद पर हावी नहीं होने दिया।
इस दौरान अंजलि ने झुंझुनूं की सीए फर्म बीके अग्रवाल एंड कम्पनी से आर्टिकलशिप किया। और दूसरी तरफ एम. कॉम. भी किया। और कड़ी मेहनत के दम पर सीए पास किया। अंजलि के सपनों को सीए बनने के बाद नई ऊंचाई मिली है। फिलहाल सीए के बाद कॉर्पोरेट सेक्टर में जॉब उसकी पहली प्राथमिकता है।
अंजलि के परिवार में कुल 6 भाई-बहन हैं जो कि सभी पढाई को लेकर जागरूक हैं। बड़ी बहन कविता पोस्ट ग्रेजुएट, सरोज बीएससी नर्सिंग, छोटी बहन प्रियंका बीएससी, भाई सुधांशु बीटेक कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है। और मोहित अभी डिफेंस सर्विसेज के लिए तैयारी कर रहा है।
अंजलि मानती हैं कि, सीए बनने तक के सफर में परिवार ने उसका हमेशा साथ दिया। अपनी सफलता का श्रेय वह परिवार के अलावा गुड़गांव में रह रहे अपने ताऊ के बेटे विकास किरोड़ीवाल को देती है, जिन्होंने हर तरह उसे सपोर्ट किया। सीए में सफलता पर गांव के लोगों ने भी खुशी जताई।