योगी कैबिनेट ने कई प्रस्‍तावों पर लगाई मुहर, सेवा से बाहर नहीं होंगे तदर्थ शिक्षक; मिलेगा मानदेय

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को राज्‍य के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखने की सहमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नवंबर 2023 में सेवा से हटाए गए 2254 तदर्थ शिक्षकों को कैबिनेट ने अस्थायी रूप से मानदेय पर रखे जाने के प्रस्ताव पर सहमति दी है। कैबिनेट ने एडेड माध्यमिक विद्यालयों में अस्थायी रूप से मानदेय शिक्षक रखे जाने की प्रक्रिया व कार्य शर्त को मंजूरी दे दी है।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के पद खाली हैं, इसका असर शिक्षण कार्य पर पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में शैक्षणिक कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए 2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेवा से हटाए गए 2254 शिक्षकों को अस्थायी तौर पर 25 हजार और 30 हजार रुपये मानदेय पर रखने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, इसमें से 40 शिक्षकों का समयोजन हो चुका है। उन्होंने बताया कि जो शिक्षक (एलटी ग्रेड) कक्षा 9 और 10 में पढ़ाएंगे उन्हें 25 हजार और जो लेक्चरर कक्षा 11-12 में पढ़ाएंगे उन्हें 30 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसी क्रम में यह भी तय किया गया है कि अंशकालिक प्रवक्ता प्रबंधन नियमानुसार रखेगा, लेकिन इसके लिए मंडल स्तर पर कमेटी का गठन किया जाएगा। जो इससे जुड़े आवश्यक निर्णय लेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अंशकालिक प्रवक्ताओं की नियुक्ति गलत है। खाली पदों के सापेक्षा निर्धारित बोर्ड से भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

1993 के बाद की गई थी तदर्थ शिक्षकों की तैनाती

बता दें कि एडेड कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए 1993 के बाद तदर्थ शिक्षकों की तैनाती की थी। इन्हें लगभग सामान्य शिक्षकों के बराबर मानदेय भी दिया जाता था। बाद में इसी आधार पर एडेड कॉलेजों में बड़ी संख्या में शिक्षकों को रख लिया गया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट के आधार पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नवंबर 2023 में शासनादेश जारी कर 20-25 साल से काम कर रहे शिक्षकों को बकाया वेतन देकर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी थीं। अब इन्हीं शिक्षकों को मानदेय पर रखने की सहमति कैबिनेट ने दे दी है।

बढ़ेगा भत्ता और मानदेय

मुख्यमंत्री व राज्यपाल के यहां तैनात सिक्योरिटी गार्ड के प्रोत्साहन भत्ते और व्यवसायिक शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि से संबंधित वेतन समिति की सिफारिशों को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि सीएम और राज्यपाल के यहां तैनात सिक्योरिटी गार्ड का प्रोत्साहन भत्ता 12,500 रुपये महीना था। इसे बढ़ाकर मूल वेतन का 50 फीसदी और अधिकतम 22 हजार कर दिया गया है। व्यवसायिक शिक्षकों को इंटरमीडिएट में 500 रुपये प्रति कक्षा मानदेय मिलता था। इसे बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया है। उन्हें अधिकतम 15 हजार रुपये मिलता था। जिसे बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दिया गया है। हाईस्कूल के व्यवयासिक शिक्षकों को प्रति कक्षा 400 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति कक्षा कर दिया गया है। अधिकतम मानदेय बढ़ाकर 12 हजार से 15 हजार कर दिया गया है।

उत्‍तर प्रदेश के 992 राजकीय व एडेड माध्यमिक विद्यालयों में विषय विशेषज्ञों के रूप में करीब 2130 शिक्षक हैं, जिन्हें इसका लाभ मिलेगा। इसी तरह सीएम और राज्यपाल के यहां तैनात 656 सिक्योरिटी गार्ड को बढ़े प्रोत्साहन भत्ते का फायदा होगा। प्रोत्साहन भत्ते से सरकार पर 18.84 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसमें 7.48 करोड़ सिक्योरिटी गार्ड्स और 11.41 करोड़ शिक्षकों का है।

खेती में होगा नवाचार, शुरू होगा स्टार्टअप

प्रदेश के किसानों एवं खेती से जुड़े कारोबार को बढावा दिया जाएगा। इस क्षेत्र में कई नवाचार किए जाएंगे और स्टार्टअप भी शुरू होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार एग्रीटेक नीति 2024 बनाने जा रही है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से एग्रीस्टैक की पहल की गई है। इसके तहत खेती से जुड़े सभी आंकड़ें आनलाइन किए जा रहे हैं। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के जरिए डाटाबेस तैयार किया गया है। किसान कार्ड बनाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में सरकार की ओर से एग्रीटेक नीति 2024 तैयार की जाएगी। इस नीति के जरिए कृषि प्रोद्यौगिकी नवाचारों को बढावा दिया जाएगा। कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू होगा। किसानों की क्षमता वृद्धि की जाएगी। एग्रीटेक सेवा देने वालों के लिए बेहतर विकास का वातावरण बनाया जाएगा। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

एग्रीटेक नीति के क्रियांवयन पर पांच साल का वक्त लगेगा। इस पर करीब 21.65 करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार बजट का प्रावधान करेगी और जरुरत के मुताबिक हर साल अतिरिक्त बजट भी देगी। नीति को लेकर निदेशक कृषि की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी बनेगी। अपर मुख्य सचिव (कृषि) की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्टियरिंग समिति भी बनेगी। यह समिति रणनीति और मार्गदर्शन देगी। प्रदेश सरकार की कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा किसान एग्रीटेक सेवाओं को समझने और उसके उपयोग में सक्षण हो। इससे न सिर्फ फसल का उत्पादन बढ़ेगी बल्कि उत्पादकता में भी बढोतरी होगी। प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा एग्रीटेक स्टार्टअप शुरू होगा। तमाम कंपनियां भी अपनी सेवाएं देंगी।

पोषण युक्त आहार, खली व फीड के लिए वित्तीय सहायता

प्रदेश में पशुधन को पोषण युक्त आहार देने के लिए डेयरी सहकारी समिति के सदस्यों को रियायती दर पर सांद्र खली, मिश्रित फीड आदि आहारों के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके लिए कैबिनेट ने मंगलवार को पशुधन, कुक्कुट व मत्स्य आहार नीति (वर्ष 2024 से 2029 तक) को क्रियान्वित करने को मंजूरी दे दी है। विभाग की ओर से पशुधन एप्लीकेशन में मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान (एआई) आधारित गर्भस्थ पशु को पंजीकृत करने वाले किसानों को रियायती दरों पर खनिज मिश्रित आहार दिया जाएगा। साथ ही सक्रिय डेयरी सहकारी समिति के सदस्यों को प्राथमिकता देते हुए रियायती दरों पर सांद्र खली, मिश्रित फीड आदि आहारों के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। साथ ही आहार तकनीकी, निर्माण व प्रसंस्करण में शोध व नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा।

नीति के तहत व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह, फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशंस, डेयरी सहकारी समितियों और कंपनियों को पोषण युक्त आहार, लौह आदि मिश्रण आदि उत्पादों के लिए उपकरण आदि पर सब्सिडी व व्याज पर अनुदान भी दिया जाएगा। इससे निजी भागीदारी और उद्यमिता में वृद्धि होगी। इंटरनेशनल डेवलमेंट एजेंसियां, विश्वविद्यालय, शोध संस्थान, उद्योगों, गैर सरकारी संगठनों, स्टार्टअप के सहयोग से शोध के लिए अनुदान भी दिया जाएगा। पशुधन व दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि इस नीति से पशुओं का बेहतर पोषण, पशुधन, कुक्कुट, मत्स्य जन्य उत्पादों में वृद्धि, किसानों की आय में वृद्धि होगी। पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार होगा। साथ ही पशु उत्पादकता में वृद्धि, पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार, पशुधन, कुक्कुट, मत्स्य में विकास दर में वृद्धि होगी। प्रदेश में पशुधन के राशन उत्पादन में सुधार होगा।

चारे की कमी दूर करने के लिए ग्राम समाज की भूमि पर होगा चारा उत्पादन

प्रदेश में पशुधन की जरूरत के अनुसार चारे की कमी को देखते हुए ग्राम समाज की भूमि, विशेषकर चारागाहों को, खाली जमीन को चिह्नित कर वहां पर चारे का उत्पादन कराया जाएगा। मंगलवार को कैबिनेट ने इससे जुड़ी यूपी चारा नीति (वर्ष 2024 से 2029 तक) को क्रियान्वित करने की मंजूरी दे दी है। वर्तमान में पशुधन की जरूरत के अनुरूप हरे चारे की 44.15 व सूखे चारे की 21.11 फीसदी की कमी है। कृषिकृत क्षेत्रफल में हरे चारे का आच्छादन 4.62 फीसदी ही है।

पशुधन व दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि चारा नीति के माध्यम से गैर सरकारी संस्थाओं व निजी संस्थाओं का सहयोग लेकर पब्लिक प्राइवेट पॉलिसी के तहत कार्ययोजना बनाई जाएगी। चिह्नित ग्राम समाज की भूमि पर चारा उत्पादन के लिए भूमि प्रबंधक समिति, एनजीओ, कृषकों, पशुपालकों को निःशुल्क चारा बीज, नैपियर घास की रूट स्लिप, पौध उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह पंजीकृत गौशाआलों, राजकीय गो आश्रय स्थलों को चारा उत्पादन के लिए निःशुल्क बीज व रूट स्लिप निःशुल्क दिया जाएगा।

बड़े निवेश के लिए लागू होगा ‘निर्माण’ एक्ट

प्रदेश को दस खरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है। बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश में स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन (एसआईआर) एक्ट लागू होगा। इस एक्ट को निर्माण (नोडल इन्वेस्टमेंट रीजन फॉर मैन्युफैक्चरिंग) नाम दिया गया है। प्रदेश में कम से कम चार ऐसे स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन बनाए जाएंगे, जो प्रदेश के चारों भौगोलिक क्षेत्रों में होंगे। लोकभवन में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस संबंध में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर ने बताया कि इस तरह का एक्ट अभी तक केवल गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में है। यूपी इसे लागू करने वाला देश का चौथा राज्य होगा।

उन्होंने बताया कि स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन में बड़ा निवेश होता है। इनके जल्द विकास के लिए अधिकारों को राज्य सरकार और प्राधिकरण में बांट दिया जाता है। इसका फायदा ये है कि इनकी मास्टर प्लानिंग में बदलाव प्राधिकरण स्तर पर ही किया जा सकता है और एनओसी व क्लीयरेंस भी स्थानीय स्तर पर जारी हो सकते हैं। ये ईज आफ डूइंग बिजनेस का ही दूसरा रूप है। अनिल कुमार सागर ने बताया कि दस खरब डालर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए बड़े-बड़े इन्वेस्टमेंट रीजन बनाने होंगे। अभी एक्ट के तहत निनेश जमीन की न्यूनतम सीमा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन जिस तरह बुंदेलखंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंटअथॉरिटी (बीडा) के लिए पांच हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, उसी तरह इसमें भी बड़ा क्षेत्र रखा जाएगा।