मरने बाले का साथी उसके द्वारा किए गए कर्म होते हैं : डॉ विनीत विधार्थी

जैसे एक हजार गायों में बछड़ा अपनी मां को ढूंढ ही लेता है वैसे ही कर्म फल अवश्य मिलता है

बरेली। गायत्री शक्तिपीठ आंवला पर गरूड़ पुराण की कथा में डॉ विनीत विधार्थी दर्शन शास्त्री ने कहा कर्म फल व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ते है। जैसे एक हजार गायों में बछड़ा अपनी मां को ढूंढ ही लेता है वैसे ही कर्म फल अवश्य मिलता है। इसलिए अच्छे कर्म ही करना चाहिए। मरने के बाद तो केवल धार्मिक कृत्य अपनी और मृतकात्मा की शान्ति के निमित्त किये जाते हैं ।दशगात्र एवं एकादशाह विधि का विधान बताया और समझाया कि अन्तिम संस्कार कर्म करने से मृतकात्मा को शांति मिलती है ,उसका भटकाव खत्म होता है। मुक्ति मार्ग प्रशस्त होता है। इसमें रामजी मल, मुन्ना लाल, प्रज्ञा ,प्रखर, कमलेश गुप्ता, अजय आदि का सहयोग रहा।