दान से गति व दुर्गति दोनों होती है -डॉ विनीत विधार्थी दर्शन शास्त्री

परन्तु जो दान प्रकट हो जाये उसका प्रभाव नष्ट हो जाता है

बरेली। गायत्री शक्तिपीठ आंवला पर चल रही गरूड़ पुराण कथा में कथावाचक डॉ विनीत विधार्थी दर्शन शास्त्री ने कहा, दान श्रेष्ठ को ही करना चाहिए पात्र व्यक्ति को दिया गया दान कल्याण करता है । परन्तु जो दान प्रकट हो जाये उसका प्रभाव नष्ट हो जाता है। जैसे बीज मिट्टी में दब जाता है मिल जाता है तभी वह अंकुर और फिर पेड़ बनता है फल देता है। यदि बीज मिट्टी में न दबे न छिपे तो क्या वह फलीभूत होगा।
जो दान का प्रदर्शन करते हैं वे केवल इसी लोक में प्रसिद्धि पाते हैं उन्हें परलोक में सुख शांति नहीं मिलती । उन्होंने गरूड़ पुराण में आतुरदान का महत्व बताया , दान अलग-अलग प्रकार के हैं जो अलग-अलग उद्देश्य से किये जाते हैं। दान केवल एक ही उद्देश्य है पाप का शमन और परोपकार का भाव रखकर ईश्वर समर्पित करना। यहां पर रामजी मल, मुन्ना लाल, प्रज्ञा, प्रखर, आयुष, रूवी, शारदा देवी, देवेन्द्र गुप्ता आदि ने इसका रसस्वादन किया।