हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ख़ानकाहे सक़लैनिया शराफ़तिया के सज्जादानशीन मुंतखब

महफ़िल ए ईसाले सवाब का इनिकाद

बरेली। बरोज़ मंगल मुताबिक 9 रबिउस्सानी 1445 हिजरी आक़ाई व मौलाई हज़रत पीरो मुरशिद अश्शाह मुहम्मद सक़लैन मियां हुज़ूर किब्ला का सेम (तीजा) सुबह बाद नमाज़ फज्र पढ़ा गया।
सेम में शामिल होने के लिए ख़ानक़ाह शरीफ़ पर एक बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा, ख़ानक़ाह शरीफ़ का मेहमान खाना और गलियां मुरीदीन से खचाखच भर गईं। हज़ारों मुरीदीन नम आंखों से पीरो मुरशिद के सेम में शामिल हुए और खिराजे अकीदत पेश की।
सेम के मुकम्मल होने के बाद खानकाह शरीफ़ पर फातिहा ख्वानी हुई और पीरो मुरशिद की बारगाह में ईसाले सवाब पेश किया गया।

महफ़िल ए ईसाले सवाब का इनिकाद

ख़ानक़ाह शरीफ़ पर 11 बजे हज़रत पीरो मुरशिद की बारगाह में महफ़िल ए ईसाले सवाब का इनिकाद किया गया।
महफ़िल का आग़ाज़ तिलावते कलामे पाक से हाफ़िज़ अबू बक्र सकलैनी ने किया।

हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ख़ानकाहे सक़लैनिया शराफ़तिया के सज्जादानशीन मुंतखब
हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ख़ानकाहे सक़लैनिया शराफ़तिया के सज्जादानशीन मुंतखब

सेम के प्रोग्राम में शामिल होने के लिए कई ख़ानकाहों के सज्जादगान तशरीफ़ लाए और अपने-अपने रंज ओ गम का इज़हार किया जिनमें खानकाहे अहमदिया भटपुरा शरीफ़ के सज्जादा नशीन हज़रत अज़ीज़ मियां साहब, पीलीभीत शरीफ़ से सज्जादा नशीन हसन मियां साहब, खानकाहे कादिरिया बदायूँ शरीफ़ से मौलाना खालिद साहब, मौलाना अनवर क़ादरी, मौलाना इरशाद आलम नोमानी, ख़ानकाहे वामिकया निशातिया से हज़रत असलम मियां साहब और इनके अलावा मौलाना सूफी रिफाकत सकलैनी नईमी, मुफ्ती फ़हीम अज़हरी सकलैनी, मौलाना प्रोफेसर मेहमूद उल हसन साहब, मुंबई से हाफ़िज़ शाहिद शेख़ सकलैनी, मौलाना हफीज़ सकलैनी वागरेह ने प्रोग्राम खुसूसी शिरकत की।

हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ख़ानकाहे सक़लैनिया शराफ़तिया के सज्जादानशीन मुंतखब
हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ख़ानकाहे सक़लैनिया शराफ़तिया के सज्जादानशीन मुंतखब

हज़रत गाज़ी मियां हुज़ूर ख़ानकाहे सक़लैनिया शराफ़तिया के सज्जादानशीन मुंतखब

पीरो मुरशिद किब्ला शाह मुहम्मद सकलैन मियां हुज़ूर के छोटे भाई अल्हाज हज़रत मुंतखब मियां अलमारूफ नूर ककरालवी साहब ने मियां हुज़ूर के साहिबज़ादे हज़रत गाज़ी मियां सकलैनी साहब को किब्ला मियां हुज़ूर की दस्तारे मुबारक बांधकर, तहरीरी तौर पर आस्ताना शरीफ़ के साहिबे सज्जादा होने का ऐलान किया और उन्हें दुआओं से नवाज़ा। इसकी तस्दीक तमाम उल्मा, मशाइख व मुरीदीन की मौजूदगी में हाफ़िज़ शाहिद सकलैनी ने की। उन्होंने खानकाह में मुरशिद व उनके खानवादगान के आदाब बताए। इसके बाद सज्जादा नशीन हज़रत गाज़ी मियां की गुलपोशी व दास्तार बंदी की रस्म मशाइखीन व उल्मा और खानदान के लोगों ने की।
इसके बाद फातिहा ख्वानी हुई और महफिल का इख्तिताम हुआ।