लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) में भी ब्राह्मण और क्षत्रिय (ठाकुर) विधायकों की भूमिका काफी अहम है. हाल ही में पार्टी के भीतर जाति आधारित अलग-अलग बैठकों और भोज कार्यक्रमों ने सियासी हलचल मचा दी थी, लेकिन अब पार्टी नेतृत्व ने इस पर पूर्ण विराम लगाने का फैसला किया है.
केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर बहुत जल्द ब्राह्मण और क्षत्रिय विधायक एकजुट नजर आएंगे. सबसे पहले दोनों समुदायों के विधायक एक संयुक्त भोजन कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं, जो पार्टी की एकता का बड़ा संदेश देगा. उसके बाद अलग-अलग एमएलए गेट-टू-गेदर होती रहेंगी. अब तक की गेट-टू-गेदर जातियों को तोड़ने वाली थीं मगर, अब जो होगी वह जोड़ने वाली होंगी.
यह डेवलपमेंट शीतकालीन विधानसभा सत्र के दौरान सामने आए विवाद की पृष्ठभूमि में आया है. 23 दिसंबर को लखनऊ में कुशीनगर के BJP विधायक पंचानंद पाठक के आवास पर करीब 40-50 ब्राह्मण विधायकों और एमएलसी का ‘सहभोज’ आयोजित हुआ था.
इसमें शलभमणि त्रिपाठी, रत्नाकर मिश्रा जैसे प्रमुख नेता शामिल हुए. आयोजकों ने इसे सामान्य भोज और सामाजिक चर्चा बताया, लेकिन विपक्ष ने इसे ब्राह्मणों में नाराजगी का संकेत करार दिया. समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने तो ब्राह्मण विधायकों को सपा में आने का आमंत्रण तक दे दिया था.
इससे पहले, मानसून सत्र के दौरान क्षत्रिय विधायकों ने ‘कुटुंब परिवार’ के नाम से अलग बैठक की थी, जिसमें करीब 40 ठाकुर विधायक शामिल हुए थे. इन अलग-अलग आयोजनों से पार्टी में जातीय गोलबंदी की आशंका जताई जाने लगी थी.
यूपी BJP के प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर कड़ी नाराजगी जताई और चेतावनी दी कि ऐसी गतिविधियां पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ हैं. BJP किसी एक जाति या वर्ग की राजनीति नहीं करती, बल्कि सभी को साथ लेकर चलती है. पार्टी ने संबंधित विधायकों से बात कर उन्हें सतर्क रहने की हिदायत दी है.उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 52 ब्राह्मण और 49 क्षत्रिय विधायक हैं, जिनमें से अधिकांश BJP के हैं. ब्राह्मण वोट करीब 100-150 सीटों पर निर्णायक माने जाते हैं, जबकि क्षत्रिय भी पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में मजबूत प्रभाव रखते हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में BJP को ब्राह्मणों का बड़ा समर्थन मिला था.
अब पार्टी नेतृत्व ने इन अलग-अलग रणनीतियों पर विराम लगाते हुए एकता का संदेश देने का प्लान बनाया है. अंदरखाने चल रही तैयारियों के अनुसार, निकट भविष्य में ब्राह्मण और क्षत्रिय विधायक एक साथ भोजन करेंगे और संयुक्त कार्यक्रम करेंगे.
यह कदम 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है, ताकि पार्टी की ‘सर्वस्पर्शी’ छवि मजबूत हो और विपक्ष के जातिवाद के आरोपों का जवाब दिया जा सके. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सबसे पहले छतरी और ब्राह्मण एक साथ होंगे. उनकी गेट-टू-गेदर के बाद निकट भविष्य में अन्य जातियों के साथ ब्राह्मण क्षत्रियों को बैठाया जाएगा.
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अविनाश मिश्रा का मानना है कि यह आयोजन पार्टी के भीतर सामंजस्य बहाल करने और ऊपरी जातियों के वोट बैंक को एकजुट रखने की रणनीति है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में BJP विकास और राष्ट्रवाद की राजनीति पर जोर दे रही है और जातीय विभाजन से बचना चाहती है. यदि यह कार्यक्रम सफल होता है, तो यह यूपी BJP के लिए एक मजबूत संदेश साबित होगा कि पार्टी में सभी समुदाय बराबर के भागीदार हैं.
यह घटनाक्रम उत्तर प्रदेश की सियासत में नई दिशा दे सकता है. जहां जातीय समीकरण चुनावी सफलता की कुंजी माने जाते हैं वहीं, पार्टी के इस कदम से एकता का संदेश जाएगा, वहीं विपक्ष को भी जवाब मिलेगा कि BJP जाति की नहीं, विकास की राजनीति करती है.