मुसलमान सपा के अलावा दूसरे विकल्प पर विचार करें: मौलाना

मुस्लिम कौम आजम खान के साथ खड़ी

Bareilly News: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने प्रेस को एक बयान जारी करते हुए कहा कि सपा के नेता आजम खान मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं। मुस्लिम कौम आजम खान के साथ खड़ी है, हमारी हमदर्दिया भी आजम खां और उनके परिवार के साथ है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम खान की गिरफ्तारी पर कहा कि मुसलमान होने की वजह से उनको परेशान किया जा रहा है। अखिलेश के बयान की हम कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं, हकीकत ये है कि आजम खान मुसलमान होने की वजह से नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी में होने की वजह से परेशान किए जा रहे हैं। अखिलेश यादव अपनी नाकामियों को छुपाने और आजम खान का समर्थन न कर पाने की वजह से मुसलमान शब्द इस्तेमाल करके पूरी मुस्लिम कौम के सर ठिकरा फोड़ना चाहते हैं।

मौलाना ने कहा कि अखिलेश की बिरादरी से आजम खान नहीं आते हैं, इसलिए सपा के मुखिया उनके समर्थन में नहीं खड़े हैं, जबकि दूसरी तरफ वो बलिया पहुंच गए, वहां पर उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान भी दिया। इसकी वजह ये है कि बलिया में पीड़ित परिवार उनकी ही बिरादरी से सम्बन्ध रखता है। अब उत्तर प्रदेश के मुसलमान उनकी दोहरी चालों को समझ चुका है, इसलिए मुसलमान भविष्य के फैसले खुद करेगा।

मौलाना ने कहा कि 2024 के लोकसभा के चुनाव बहुत जल्द होने वाले हैं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद इस कश्मकश का शिकार है कि वोट किसको दिया जाए, और दूसरी तरफ मुसलमानों का दूसरा तबका समाजवादी पार्टी की तरफ झुकाव रखता है। ऐसे माहौल में मुसलमानों की रहनुमाई करना और उनको अच्छाई और बुराई के रास्ते को बतलाना हमारी जिम्मेदारी बनती है। मौलाना ने मुसलमानों को पुराना इतिहास बताते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी में मुसलमानों के रहने की जगह अब नहीं है, चुकी जब तक मुलायम सिंह यादव नेतृत्व कर रहे थे, उस वक्त तक सपा में मुसलमानों की गुंजाइश थी और वो मुसलमानों के हितौषी थे। मगर जब से उनके बेटे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की कमान संभाली है, उसके बाद मुसलमानों के नुमाया और बड़े चेहरों को हाशिए पर कर दिया गया है। वो मुसलमान लीडरान जिन्होंने सपा को अपने खून और पसीने से सींचा था, उन लोगों पर जब मुसीबत के पहाड़ टूटे और जेल की सलाखों में बंद किया गया, तो उनकी मुश्किलों के वक्त अखिलेश यादव साथ में खड़े होने से बचते रहे।