वाराणसी: वाराणसी में मंगलवार (23 अप्रैल) को हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर हनुमत प्रभु के जयकारे गूंजे। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में चारों तरफ हनुमान जी के जन्मोत्सव की धूम रही। मंगलवार को घर से लेकर हनुमान मंदिरों तक प्रभु की पूजन-अर्चन और महिमा गण होती रही।
विभिन्न इलाकों से निकली शोभायात्राएं और प्रभात फेरिया संकट मोचन मंदिर पहुंचीं, जहां पर भक्तों ने ध्वजा अर्पण कर हनुमान चालीसा का पाठ किया। वहीं, पूर्वांचल के सबसे बड़े 60 फीट के रथ पर 25 इंच की श्री रामलला की झांकी सजाई गई, तो 11000 ध्वज लहराए गए। 251 डमरू के निनाद और जय श्री राम, जय हनुमान के जयकारे से पुरा वातावरण गूंजता रहा। 1001 किलोग्राम लड्डूओं का भोग लगाया गया।
40 स्थानों पर हुआ ध्वजायात्रा का स्वागत
हनुमान ध्वजयात्रा भिखारीपुर से जैसे ही आगे बढ़ी, रास्ते में जगह- जगह भक्तों ने यात्रा का फूल बरसाकर स्वागत किया। नेवादा, सुंदरपुर, नारियां, लंका, रविदास गेट, संकटमोचन तिराहे पर विभिन्न संस्थाओं, समितियों एवं व्यापारियों द्वारा स्वागत किया गया। यहां पीने के लिए पेयजल, शर्बत, फलाहार आदि की व्यवस्था भी की गई थी। हनुमान ध्वजयात्रा में पूर्वांचल भर से 40 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए, जिन्होंने विश्व कल्याणार्थ संकट मोचन हनुमान जी के चरणों मे 11 हजार ध्वजाएं अर्पित की।
25 फीट की विशाल मुख्य ध्वजा समिति के अध्यक्ष रामबली मौर्य द्वारा अर्पित की गई, जिसके बाद श्रद्धालु हनुमान जी के चरणों में ध्वज अर्पित कर खुद को धन्य करते रहे। इसके बाद श्रद्धालुओं ने सामूहिक महा चालीसा पाठ कर प्रभु के समक्ष अपनी अर्जी लगाई। भिखारीपुर तिराहे से संकट मोचन मंदिर तक पूर्वांचल भर के भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं का हुजूम देख लगा मानो आस्था का ज्वार उमड़ गया हो। भक्तों का हुजूम इस कदर रहा कि 5.25 किलोमीटर की यह यात्रा पूरी करने में 4 घंटे से ज्यादा का समय लग गया।