लखनऊ/बरेली: उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्रा.लि. बरेली की बंदी के आदेश के मामले में हाईकोर्ट से झटका लगा है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने मारिया फ्रोजन की पशु वधशाला के बंदी आदेश को असंवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया है। साथ ही बोर्ड को चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो। बिना शासन की अनुमति के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोबारा असंवैधानिक आदेश पारित न करे।
दरअसल, मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्रा.लि. बरेली ने चार जुलाई को हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बंदी के आदेश को चुनौती दी थी। आज की कंपनी की ओर से अधिवक्ता ने अदालत में अपने तर्क रखे। इसके बाद जस्टिस राजन राय और ओपी शुक्ला की दो सदस्यीय खंड पीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बंदी आदेश को अंसवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही पशु वधशाला को तत्काल खोलने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि बोर्ड के बंदी आदेश की वजह से लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया। खाने के लिए मीट न मिलने की वजह से लोग परेशान हो गए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने करे इसकी पुनरावृत्ति
बीते दिनों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मारिया फ्रोजन पर तय क्षमता से अधिक पशु कटान का आरोप लगाया था। इसके बाद फैक्ट्री को बंद कर दिया गया। मारिया फ्रोजन के मैनेजमेंट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बंदी आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आज इस मामले में सुनवाई की गई और कोर्ट ने मारिया फ्रोजन एग्रो फूड फैक्ट्री के पक्ष में फैसला सुनाया। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चेतावनी है दी कि भविष्य में इस तरह के असंवैधानिक आदेश न जारी करें। अदालत में कंपनी की ओर से सीनियर एडवोकेट सतीश चंद्र मिश्रा, एडवोकेट शकील कुरैशी, कार्तिक दुबे, आशीष कुमार और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट असद अलवी ने बहस की।