वकील ने कोर्ट में किया ताजमहल के तेजो महालय होने का दावा, इस दिन होगी सुनवाई

आगरा: ताजमहल को योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताते हुए आगरा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां वाद दायर किया है। वादी एडवोकेट अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने साल 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से सूचना का अधिकार में पूछा था कि ताजमहल कब बनना शुरू हुआ, कब खत्म हुआ और ताजमहल के भवन की आयु क्या है? इसका जबाब देते हुए एएसआई ने बताया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है, जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

एएसआई के मुताबिक, एडवोकेट अजय प्रताप सिंह ने ताजमहल के विषय में अनुसंधान करना शुरू किया, जिसमें उन्होंने बाबरनामा, हुमायूंनामा, रायल एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण इत्यादि पढ़े जिनमें यह सामने निकलकर आया कि शिव सहस्त्र नाम स्त्रोत के अनुसार तेजो नाम शिवजी का है। विश्वकर्मा प्रकाश में तेजोलिंग बेरनिर्माण का वर्णन है। संस्कृत में बेर का अर्थ मंदिर होता है।

बटेश्‍वर शिलालेख में लिखी ये बात

एपिग्राफिका इंडिका में बटेश्वर शिलालेख के अनुसार, राजा परमाल देव ने फिटकरी के समान सफेद रंग का शिवजी का मंदिर 1194 ई. में बनवाया था। ताज गार्डन जिसका मूल नाम चारबाग है, उसके निर्माण का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में किया है। बाबर ने अपनी पुस्तक में ताजमहल के नीचे कुओं के निर्माण का भी वर्णन किया है, हुमायूंनामा में ताजमहल का उल्लेख है। आगरा गजेटियर, एएसआई बुलेटिन और रायल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल के अनुसार ताजमहल का शिल्पकार विवादित है।

सन् 1946 के एएसआई के बुलेटिन में एएसआई के महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स के लेख रिपेयरिंग ऑफ ताजमहल में लिखा है कि ताजमहल का शिल्पकार एक विवादित तथ्य है। जब 1652 के औरंगजेब के एक पत्र के अनुसार ताजमहल के शिल्पकारों के पास ताजमहल में वर्षा ऋतु में जो रिसाव हुआ था उसकी मरम्मत के कोई सुझाव उपलब्ध नहीं थे, जब एएसआई ने ताजमहल के मुख्य गुम्बद की मरम्मत शुरू की तो एएसआई को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला। उसमें जगह-जगह चूना पत्थर भरे गए थे।

मुमताज महल की मौत के वर्ष में अंतर

ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी पीटर मुंडी ने वर्ष 1632 में ताजगंज के बाजार का उल्लेख किया है, जबकि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था। अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में ताजमहल के भीतर उन्हें ब्लैक बेसाल्टिक पिलर मिला था, जिसपर कछुआ बना था जोकि जैन धर्म के तीर्थंकर मुनिश्र्वरनाथ का चिह्न है। शाहजहां की प्रेम कहानी का वर्णन कासिम अली अफरीदी ने किया है, जिसका जन्म वर्ष 1771 व मृत्यु 1827 में हुई जबकि ताजमहल का कथित निर्माण 1632 में हुआ। आगरा गजेटियर और बुरहानपुर गजेटियर में मुमताज महल की मृत्यु के वर्ष में अंतर है।

एडवोकेट अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी का विश्लेषण करने पर यह साबित होता है कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है। मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है जिसे तेजो महालय कहते थे। वाद में श्री भगवान श्री तेजोमहादेव, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं। सचिव संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, महानिदेशक एएसआई, अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआई आगरा सर्किल, महानिदेशक यूपी टूरिज़्म प्रतिवादी हैं।

9 अप्रैल को सुनवाई

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 1 जनवरी, 2024 को यह केस फाइल किया था जिसमें माननीय न्यायालय ने धारा 80(1) सिविल प्रक्रिया संहिता की कार्यवाही पूरी करने को कहा था, जिसकी समय सीमा 2 माह की होती है। उन्‍होंने सभी विपक्षीगणों को धारा 80 (1) सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन नोटिस भेज दिया था, जिसकी दो माह की समय सीमा की अवधि भी गुज़र चुकी है और आज यह वाद दायर किया है, जिसकी सुनवाई माननीय न्यायाधीश शिखा सिंह की कोर्ट सिविल जज जूनियर डिवीजन 6 में हुई, सुनवाई के दौरान वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, अधिवक्ता अभिनव कुलश्रेष्ठ व अधिवक्ता अनुराग शर्मा व हर्ष कुमार शर्मा उपस्थित रहे, माननीय न्यायालय ने सुनवाई की अगली तिथि 9 अप्रैल नियत की है।