लोकसभा चुनाव 2024: यूपी के संसदीय इतिहास में निर्विरोध चुने गए तीन सांसद, जानें उनके बारे में

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर सभी दल प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। मगर, क्‍या आपको पता है कि अभी तक उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास में निर्विरोध सांसद चुने जाने का गौरव मात्र तीन सांसदों को मिला है। इन तीन में से दो सांसद कांग्रेस और एक समाजवादी पार्टी (सपा) से हैं।

निर्विरोध निर्वाचित तीन सांसदों में एक महिला सांसद भी है। तीन में दो सांसद लोकसभा उप चुनाव में निर्वाचित हुए। प्रदेश की टिहरी गढ़वाल, बिजनौर और कन्नौज वे तीन संसदीय सीटें हैं, जिन पर निर्विरोध सांसद निर्वाचित होकर इतिहास रच चुके हैं। बता दें कि वर्तमान में टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड राज्य का हिस्सा है।

टिहरी से निर्विरोध निर्वाचित हुए थे मानवेंद्र शाह

देश में सन् 1962 में हुए तीसरे आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की प्रथम संसदीय सीट टिहरी गढ़वाल से कांग्रेस के प्रत्याशी मानवेंद्र शाह मैदान में थे। इस संसदीय सीट पर कुल 4,15,051 मतदाता थे। मगर, मानवेंद्र शाह के खिलाफ किसी राजनीतिक दल ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। वहीं, किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने चुनाव रण में नहीं उतरा। ऐसे में मानवेंद्र शाह ने निर्विरोध सांसद बनकर इतिहास रच दिया था।

यूपी के संसदीय इतिहास में मानवेंद्र शाह पहले सांसद थे, जो निर्विरोध निर्वाचित होकर संसद पहुंचे थे। इस चुनाव में उप्र की कुल 86 सीटों में से 62 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। उसके खाते में 68,42,472 (38.2 फीसदी) वोट आए थे। टिहरी गढ़वाल सीट पर मानवेंद्र शाह के परिवार का लंबे समय तक कब्जा रहा।

बिजनौर से निर्विरोध सांसद बने थे रामदयाल

सन् 1974 के उप चुनाव में बिजनौर संसदीय सीट से इंडियन नेशनल कांग्रेस के रामदयाल ने निर्विरोध सांसद बनकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया था। बिजनौर की धरती पर पिछले 50 साल में अब तक रामदयाल के अलावा कोई भी नेता निर्विरोध सांसद नहीं बना है। बिजनौर संसदीय सीट पर सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (जे) के स्वामी रामानंद शास्त्री ने भारतीय लोक दल (बीकेडी) के माहीलाल को 1,03,825 मतों से पराजित किया। सांसद स्वामी रामानंद शास्त्री की मौत के बाद रिक्त हुई सीट पर सन् 1974 में उप चुनाव हुआ। उस वक्त कांग्रेस में गुटबाजी के चलते कई दावेदार सामने थे।

इसके चलते तत्कालीन जिलाध्यक्ष क्रांति कुमार ने जिला कांग्रेस कार्यालय में लिपिक गांव शहाबपुर रतन निवासी रामदयाल का नाम प्रस्तावित कर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास भेज दिया। इंदिरा गांधी ने रामदयाल के चुनाव लड़ने पर मोहर लगा दी। रामदयाल के मुकाबले जनसंघ से मंगू सिंह और बीकेडी से चौधरी हरफूल सिंह ने पर्चा दाखिल किया था। कांग्रेस नेता क्रांति कुमार के कहने से सभी नेता कुांति कुमार के समर्थन में बैठ गए थे और रामदयाल ने निर्विरोध सांसद बनकर इतिहास रच दिया था। उनके बाद से अब तक किसी भी पार्टी का नेता बिजनौर से निर्विरोध सांसद नहीं बना।

कन्नौज से डिंपल यादव ने रचा इतिहास

समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव साल 2012 में यादव परिवार की गढ़ माने जाने वाली कन्नौज सीट से लोकसभा उप चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं। डिंपल के खिलाफ नामांकन पत्र दाखिल करने वाले मात्र दो उम्मीदवारों निर्दलीय संजू कटियार और संयुक्त समाजवादी दल के प्रत्‍याशी दशरथ शंखवार थे, जिन्‍होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था।

इस सीट से कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का निर्णय लिया था, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अंतिम समय में अपने उम्मीदवार जगदेव सिंह यादव के नाम की घोषणा की थी। मगर, समय सीमा समाप्त हो जाने की वजह से वह अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे। डिंपल यादव उत्तर प्रदेश में लोकसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं।