लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने सपा महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव के राम मंदिर पर दिए गए बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि रामगोपाल जी प्रोफेसर हैं, उनका बड़ा सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने प्रभु श्रीराम मंदिर के बारे में जो कुछ भी कहा इससे साबित होता है कि वह न राम के हैं, न गोपाल के हैं।
मंत्री एके शर्मा ने कहा कि प्रो. रामगोपाल जी ने न राम मंदिर के लिए कुछ काम किया, न ही गोपाल की गायों के लिए कुछ काम किया। वो सपा अध्यक्ष अखिलेश जी के सलाहकर के साथ उनके परिवार के चाचा भी हैं। उस परिवार ने चार-चार बार उत्तर प्रदेश में शासन किया है। मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन एक ईंट भी अगर राम मंदिर में आस्था नहीं थी, तो मथुरा के गोपाल मंदिर में ही रख दी होती। इसलिए उन्होंने न राम का काम किया और न गोपाल का ही…। उन्होंने कहा कि इतनी भव्यता, दिव्यता, पौराणिकता के साथ श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को मा. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व, उपस्थिति और साधू-संतों के आशीर्वाद से संपन्न किया गया, जिसका देश ही नहीं पूरा विश्व साक्षी रहा। पूरी दुनिया ने इस कार्य की सराहना की, लेकिन इस परिवार के लोगों को देश के वैभव का यह कार्य पसंद नहीं आया।
देश की जनता समझ रही इनकी चालबाजी
एके शर्मा ने आगे कहा कि इन्हें हमारे सनातन धर्म के इस ऐतिहासिक कार्य पर प्रश्न चिन्ह उठाने का अधिकार किसने दिया, यह समझ नहीं आता। पूरे देश के लोगों को इनकी मंशा पर जरूर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब मुगलों के पैरों तले राम मंदिर की चौखट को रौंदा गया होगा, उनके घोड़ों ने अयोध्या को रौंदा होगा, अयोध्यावासियों और उस क्षेत्र के निवासियों को घोर यातनाएं दी होगी, तब वहां का वास्तु अच्छा हो गया होगा, तब वहां का भूगोल और नक्शा भी अच्छा हो गया होगा। सैफई परिवार बिल्कुल सुल्तानी और मुगलई सोच व समझ वाले लोग हैं, इनकी बातों पर ध्यान देना उचित नहीं। भारत की सनातनी और धर्म प्रेमी जनता इन सारी चाल बाजियों को समझ रही है।