जम्‍मू-कश्‍मीर में 14 महीने में हुए नौ आतंकी हमले, 18 सैन्यकर्मी हुए बलिदान; 10 आम नागरिकों की भी हत्‍या  

श्रीनगर: जम्‍मू-कश्‍मीर में फिर से धीरे-धीरे आतंकी हमलों की वारदात बढ़ने लगी हैं। यहां संभाग के जिला कठुआ की तहसील हीरानगर के सैडा सोहल गांव में बुधवार (12 जून) दूसरे दिन आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जारी है। पुलिस, सीआरपीएफ, एसओजी और सेना के जवानों ने इलाके की घेराबंदी की हुई है। ड्रोन से भी घटनास्थल पर नजर रखी जा रही है।

इससे पहले मंगलवार रात कठुआ की तहसील हीरानगर की गांव सोहले सैडा में आतंकी एक घर में घुसे। इस दौरान उनकी पुलिस से हुई मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकी मार गिराया गया। इस दौरान एक व्यक्ति और एक सीआरपीएफ का जवान भी घायल हुआ। जवान को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। इसके बाद खुद को घिरता हुए देख आतंकियों ने सुबह 10 बजे के करीब फिर गोलीबारी की। इसके जवाब में मुठभेड़ शुरू हो गई।

पिछले कई हमलों में शहीद हुए हमारे जवान

यहां गौर करने वाली बात यह है कि आतंकी पिछले एक  साल से जंगल से जिन्न की तरह निकलते हैं और फिर चंद मिनटों में हमला करके फिर गायब हो जाते हैं। लेकिन, इन तक सुरक्षाबल नहीं पहुंच पा रहे हैं। पुंछ के भाटादूड़ियां में पांच जवानों का बलिदान, राजोरी के कंडी में पांच जवानों पर IED हमला, पुंछ के डेरा गली में पांच जवानों की शहादत, राजोरी के शाहदरा शरीफ में सैन्यकर्मी के भाई की हत्या, उधमपुर के बसंतगढ़ में वीडीजी सदस्य की हत्या, पुंछ के सुरनकोट में वायुसेना पर हमले में एक जवान की शहादत, रियासी-कठुआ के हीरानगर में एक जवान बलिदान और डोडा में पुलिस नाके पर हमला।

इन सभी हमलों में एक बात कॉमन है कि आतंकी जंगल से निकलकर आए और 10 से 15 मिनट फायरिंग करके फरार हो गए। यह बात भी समान है कि हमले के बाद सैन्‍यकर्मी इन दहशतगर्दों को पकड़ नहीं पाए। पिछले 14 महीनों में नौ हमले हुए और इसमें 18 सैन्यकर्मी की शहादत हुई है। 10 आम नागरिकों की हत्या कर दी गई। सेना ने सर्च ऑपरेशन तो चलाया, लेकिन एक भी आतंकी न पकड़ में आया और न मारा गया। तमाम खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों का तंत्र आतंकियों तक पहुंचने में लगा हुआ है, लेकिन सफलता नहीं मिली।

खुफिया तंत्र व सुरक्षा एजेंसियों को दे रहे चकमा

तमाम प्रयासों के बावजूद आतंकियों के सुरक्षित संचार नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां ध्वस्त नहीं कर पाईं। औसतन हर दूसरे महीने आतंकियों ने हमला किया। राजोरी-पुंछ के जंगलों में सक्रिय आतंकी रियासी तक पहुंच गए हैं, लेकिन इन तक सुरक्षाबल नहीं पहुंच पाए। कुल मिलाकर देखा जाए तो इन आतंकियों का सक्रिय होना और हमलों को अंजाम देना खुफिया व सुरक्षा तंत्र के लिए बड़ी चूक है। पूर्व डीजीपी एसपी वैद भी कहते हैं कि यह खुफिया तंत्र के स्तर पर चूक है। जब तक आतंकियों तक पहुंचकर उनको नहीं मारेंगे, वे ऐसा ही करते रहेंगे। उनका ऐसा ही प्रभाव रहेगा। लिहाजा, पूरी ताकत झोंककर इनको खत्म करना होगा।

14 महीने में हुए कब-कब आतंकी हमले

  • पहला हमला- 20 अप्रैल, 2023, पुंछ भाटादुड़ियां, पांच जवान शहीद
  • दूसरा हमला- 05 मई, 2023, राजोरी के कंडी में आईईडी हमला, पांच जवान शहीद
  • तीसरा हमला 21 दिसंबर, 2023, पुंछ डेरा की गली, पांच जवान शहीद
  • चौथा हमला- 22 अप्रैल, 2024, राजोरी शाहदरा शरीफ में सैन्यकर्मी के भाई की हत्या
  • पांचवां हमला- 28 अप्रैल, 2024, बसंतगढ़ में वीडीजी सदस्य शहीद
  • छठा हमला- 04 मई, 2024, सुरनकोट वायुसेना काफिले पर हमला, एक जवान शहीद और छह घायल
  • सातवां हमला- 09 जून, 2024, रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर हमला, नौ की मौत
  • आठवां हमला- 11 जून, 2024, हीरानगर के सैडा सोहल में हमला, एक जवान शहीद और एक आतंकी भी ढेर
  • नौवां हमला- 11 जून, 2024, डोडा के छत्रगलां में आतंकी हमला, अभी तक कोई हताहत नहीं