धर्म लिबास से नहीं विचार से, धर्म धमकी नहीं, ज्ञानवापी पर सियासत के बीच अखिलेश यादव की नसीहत

ज्ञानवापी पर सीएम योगी के बयान के बाद सियासत तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को योगी के बयान पर पलट वार किया। हमलावर अंदाज में अखिलेश यादव कई सवाल दाग दिए। इसके बाद हरियाणा की हिंसा, मणिपुर प्रकरण पर ‘डबल इंजन’ सरकार को नाकाम बताया। मंगलवार सुबह अखिलेश यादव ने धर्म को लेकर नसीहत भरा ट्वीट किया।

अखिलेश यादव ने लिखा कि धर्म जीवन के साथ ही, मानवीय व्यवहार, सामाजिक सहनशीलता, व्यक्तिगत सकारात्मक उत्थान और चतुर्दिक सह अस्तित्व सिखाने का भी मार्ग है। धर्म लिबास से नहीं विचार-आचार से प्रकट होना चाहिए। धर्म धमकी नहीं होता।

दरअसल, सीएम योगी ने सोमवार को ज्ञानवापी को बयान दिया। योगी ने कहा कि अगर हम ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा ही। भगवान ने जिसको दृष्टि दी है वह देखे। त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है, हमने तो नहीं रखे हैं? ज्योतिर्लिंग है, देव प्रतिमाएं हैं, पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्ला कर क्या कह रही हैं? मुझे लगता है कि यह प्रस्ताव मुस्लिम समाज की तरफ से आना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है और उस गलती के लिए हम समाधान चाहते हैं।

इस बयान पर विपक्ष हमलावर हो गया। अखिलेश यादव ने पलटवार किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुख्यमंत्री आवास की दीवारें चिल्ला-चिल्ला कर रह रही हैं, हमें गंगा जल से क्यों धुलवाया गया। अखिलेश यादव पहले कहते रहे हैं कि योगी ने मुख्यमंत्री के कालीदास मार्ग स्थित आवास को गंगाजल से धुलवाया था।

यही नहीं अखिलेश से पहले विपक्षी दलों के कई नेताओं ने योगी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि मुख्यमंत्री उच्च न्यायालय से बड़े नहीं हैं। ज्ञानवापी मस्जिद है इसीलिए प्रकरण न्यायालय में गया है। अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान न्यायालय की अवमानना है।