सूर्य कुंड के दर्शन किए बिना पूरी नहीं होती अयोध्या की यात्रा

प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के समय यहीं रुके थे सूर्यदेव

अयोध्या: सनातन धर्म की सप्तपुरियों में सर्वप्रथम अयोध्या के त्रेतायुगीन वैभव व आधुनिक विकास का समुचित तालमेल सूर्य कुंड में देखने को मिल रहा है। यह वह स्थान है जहां कभी सूर्य भी आकर ठहर गए थे और कहते हैं तब अयोध्या में एक महीने तक रात नहीं हुई थी। पौराणिक विवरणों में उल्लेखित सूर्य कुंड आध्यात्मिक व ऐतिहासिक धरोहर है। इसके बावजूद वर्षों तक यह उपेक्षा झेलता रहा। मगर, 2019 में आए राम मंदिर के फैसले के बाद योगी सरकार ने जब अयोध्या की दशा-दिशा बदलने का बीड़ा उठाया तो इस विख्यात कुंड के भी भाग्य जाग उठे। योगी सरकार ने यहां 40.95 करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोद्धार व विकास कार्यों को गति दी तो इस पावन पौराणिक कुंड को नई आभा प्राप्त हुई। आज यह कुंड लोगों को आरोग्य व पुण्य का प्रसाद देने के साथ ही उनके मनोरंजन का भी प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां विकसित पार्क में लेजर शो समेत तमाम आकर्षण विकसित किए गए हैं जिससे पर्यटक यहां खिंचे चले आ रहे हैं।

मान्यता है कि जब भगवान राम का राज्याभिषेक हो रहा था, तब उस समय सारे देवता अयोध्या आए थे और उनमें सूर्य देवता भी थे। सूर्य देवता दर्शन नगर के पास रुके थे, जिसको आज सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है और वहां पर सूर्य देवता का एक मंदिर भी है। मान्यता है कि इसी स्थान पर सूर्य का रथ रुका था और उस वक्त अयोध्या में एक महीने के लिए सूर्यास्त नहीं हुआ। कहते हैं कि सूर्य के रथ के यहां धस जाने के कारण यहां कुंड का निर्माण हुआ। एक मान्यता यह भी है कि जब चरक ऋषि ने यहां स्नान किया था तो उनका कुष्ठ रोग दूर हो गया था। ऐसे में, जो भी कुष्ठ व चर्म रोगी यहां स्नान करता है उसकी बीमारियां ठीक हो जाती हैं तथा उसे आरोग्य व अखंड पुण्य की प्राप्ति होती है।