नई दिल्ली: चेन्नई के अवादी में मौजूद हैवी व्हीकल फैक्ट्री से टी-90 भीष्म मार्क 3 टैंक का नया बैच निकल गया है। जल्द ही इसे भारतीय सेना के आर्मर्ड व्हीकल फ्लीट में शामिल किया जाएगा। इस टैंक में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिसकी फायर पावर बढ़ाई गई है। सुरक्षा प्रणाली अपग्रेड की गई है। ऑपरेशनल कैपेबिलिटी बढ़ाई गई है।
फिलहाल, इस टैंक की खासियतों को गुप्त रखा गया है लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें डिजिटल कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाया गया है। ऑटोट्रैकर लगा है। टीकेएन-4एस एजीएटी-एम सीडीआर साइट लगी है। एलसीडी मॉनिटर, डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर, एंटी-थर्मल आईआर कोटिंग और इनवार जीएलजीएमएस लगाया गया है यानी इसमें स्वदेशी यंत्रों का इस्तेमाल बढ़ा दिया गया है।
भारत ने बदलकर ‘भीष्म’ रखा नाम
टी-90 टैंक रूस का मुख्य युद्धक टैंक है, जिसे भारत ने अपने हिसाब से बदलकर उसका नाम भीष्म रख दिया है। करीब 1200 टैंक सेवा में है, 464 का ऑर्डर दिया गया है। भारत ने रूस के साथ डील किया है कि वह 2025 तक 1657 भीष्म को ड्यूटी पर तैनात कर देगा। इस टैंक में तीन लोग ही बैठते हैं। यह 125 मिलिमीटर स्मूथबोर गन है।
इस टैंक पर 43 गोले स्टोर किए जा सकते हैं। यह 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल सकता है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 550 किलोमीटर है। इस टैंक के रूसी वर्जन का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है। इस टैंक ने दागेस्तान के युद्ध, सीरियन नागरिक संघर्ष, डोनाबास में युद्ध, 2020 में हुए नागोमो-काराबख संघर्ष और इस साल यूक्रेन में हो रहे रूसी घुसपैठ में काफी ज्यादा मदद की है।
देश की सेना का है मुख्य युद्धक टैंक
भारतीय सेना के पास साल 2004 से अब तक यह सर्विस दे रहा है। यह देश की सेना का मुख्य युद्धक टैंक है। देश में इन 120 मिलीमीटर बैरल वाले टैंकों की संख्या 141 है। इसके दो वैरिएंट्स हैं- पहला एमके-1 और एमके-1ए. एमके-1 आकार में एमके-1ए से थोड़ा छोटा है। दोनों ही टैंकों में चार क्रू बैठते हैं। दोनों टैंक एक मिनट में 6 से 8 राउंड फायर कर सकते हैं। एक टैंक में 42 गोले स्टोर किए जा सकते हैं। अर्जुन टैंक की रेंज 450 किलोमीटर है।