नई दिल्ली: नीट-यूजी पेपर लीक मामले को लेकर विपक्ष जहां दोनों सदनों में चर्चा करने के लिए जोर दे रहा है तो वहीं, अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा है। उन्होंने फिर से केंद्र सरकार से राज्य को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) से छूट देने और राष्ट्रीय स्तर पर इस परीक्षा को समाप्त करने की मांग की है।
तमिलनाडु को नीट से छूट देने के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए चयन प्रक्रिया केवल 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर होनी चाहिए। इसके लिए अलग से प्रवेश परीक्षा नहीं कराई जानी चाहिए, क्योंकि इससे छात्रों पर अधिक तनाव पड़ता है। स्टालिन ने अपने पत्र में कहा, ‘हमने तमिलनाडु में नीट परीक्षा न कराने और 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने के लिए अपनी विधानसभा में सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया था। इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया है, लेकिन अभी तक उन्होंने मंजूरी नहीं दी है।’
तमिलनाडु विधानसभा से पारित किया गया प्रस्ताव
सीएम एमके स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु विधानसभा ने उपरोक्त बताई गई मांग के संबंध में विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि वह तमिलनाडु को नीट से छूट देने के लिए विधेयक पर अपनी सहमति जताएं और राष्ट्रीय स्तर पर इस चयन प्रक्रिया को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम में संशोधन करें।
इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र
इस बीच, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को लिखे अलग-अलग पत्रों में स्टालिन ने उनसे अनुरोध किया कि वे अपनी-अपनी विधानसभाओं में नीट परीक्षा को समाप्त करने के लिए इसी तरह का प्रस्ताव पारित करने पर विचार करें। स्टालिन ने लोकसभा के विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी पत्र लिखकर तमिलनाडु को नीट परीक्षा से छूट देने की मांग पर उनका समर्थन मांगा है।
तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने राहुल से कहा, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित नीट- यूजी की परीक्षा में अनियमितताओं की हालिया घटनाओं ने देश में मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक कई मेहनती उम्मीदवारों के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। यह व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्र के गरीब युवाओं को मेडिकल में स्नातक करने के सपने पूरे करने से भी वंचित कर रही है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इस मुद्दे और तमिलनाडु की मांग को संसद में उठाएं तथा विपक्षी गठबंधन में शामिल राज्यों को भी सुझाव दें कि वे देश के युवाओं के हित में संबंधित विधानसभाओं में इसी तरह के प्रस्ताव पारित करें।