पांच लाख गांवों में भेजे जाएंगे कलश में रखे अक्षत

विहिप के सभी संगठनात्मक प्रांतों के प्रतिनिधियों में पांच नवंबर को वितरित होगा पूजित अक्षत

अयोध्या: राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के पहले अक्षत पूजन होना है। पांच नवंबर को विहिप के सभी संगठनात्मक प्रांतों के कार्यकर्ता इस पूजित अक्षत को ले जायेंगे। विहिप के पदाधिकारियों ने रविवार को धारा रोड स्थित कालीबाड़ी मंदिर में पूजित अक्षत को कलश में इकठ्ठा किया। देश के पांच लाख गांवों तक अक्षत पहुंचाने की जिम्मेदारी विहिप ने संभाली है। कार्यक्रम के संयोजक बंटी सिंह ने बताया कि करीब 101 तांबे के कलशों में अक्षत को रखा गया।

सूखे अक्षत में देशी घी व हल्दी लगाई गयी है। इन अक्षतों का रामजन्मभूमि में पूजन किया जायेगा। पांच नवंबर को विहिप के सभी प्रांतों के प्रतिनिधि यहां आयेंगे। जो एक-एक कलश लेकर जायेंगे। प्रांत के पदाधिकारी इसका वितरण विभाग व जिला स्तर पर करेंगे। जिला स्तर से यह गांवों तक पहुंचाया जायेगा। बजरंगदल जिला संयोजक मनीष पांडेय ने बताया कि पूजित अक्षत को देश के सभी मंदिरों में पहुंचाया जायेगा। प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से देश के सभी मंदिरों को जोड़ने की तैयारी की गई है।

संगठनात्मक दृष्टि से विहिप ने पूरे देश को 45 प्रांतों में विभक्त किया है। उत्तर प्रदेश में विहिप के छह प्रांत हैं। प्रांतों को विभागों व संगठनात्मक जिलों में विभक्त किया गया है। पांच नवंबर तक करीब 200 प्रतिनिधि प्रांतों से अयोध्या पहुंच जायेंगे। सिंधी समाज करीब 50 देशों व भारत के 200 शहरों की मिट्टी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को 31 अक्टूबर को समर्पित करेगा। सिंधियत की पवित्र माटी एकत्रीकरण समिति के उप संयोजक ओम प्रकाश ओमी ने बताया कि प्रभू झूलेलाल मंदिरों व दरबारों से रज एकत्रित की गई है। दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, दुबई, पूर्वी अफ्रीका, चीन, कनाडा व यूरोपी महाद्वीप के करीब 50 देशों से करीब 200 लोग कार्यक्रम में सम्मलित होने आयेंगे।

पवित्र माटी को मटकीनुमा पात्र में समिति के मुख्य संयोजक श्रीकांत भाटिया राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय को सौपेंगे। रामनगर कॉलोनी स्थित लाल साईं मंदिर की माटी भी इस दौरान दी जायेगी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिव शांति संत आसूदाराम आश्रम लखनऊ के साईं मोहन लाल होंगे। उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक मंदिर निर्माण में सिंधी समाज की भूमिका होने की प्रतीक पवित्र माटी को सौंपना होगा।