Basti: जयन्ती पर याद किए गए प्रखर समाजवादी लोकनायक जय प्रकाश नारायण

आज भी गूँज रहा है जेपी बाबू के समाजवाद का नारा: महेन्द्रनाथ यादव

Basti: समाजवादी पार्टी कार्यालय पर बुधवार को प्रखर समाजवादी स्वर्गीय जय प्रकाश नारायण को उनकी 121वीं जयन्ती पर याद किया गया। पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि जेपी बाबू के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश ने देश को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने का सच्चा प्रयास किया, जिसमें वह पूरी तरह से सफल रहे हैं। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भारतीय जनमानस पर अपना अमिट छाप छोड़ी है। जयप्रकाश का समाजवाद का नारा आज भी गूँज रहा है। समाजवाद का सम्बन्ध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके सम्पूर्ण जीवन में समाया हुआ था।

सपा जिलाध्यक्ष एवं बस्ती सदर विधायक महेन्द्रनाथ यादव ने कहा कि देश को आजाद कराने हेतु जय प्रकाश ने तरह-तरह की परेशानियों को झेला, किन्तु उन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके, वे दृढ़निश्चयी व्यक्ति थे। संघर्ष के इसी दौर में उनकी पत्नी भी गिरफ्तार कर ली गईं और उन्हें दो वर्ष की सजा हुई, वह भी स्वतंत्रता आंदोलन में कूदी थीं और जनप्रिय नेता बन चुकी थीं। जयप्रकाश अपनी निष्ठा और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे, वे सच्चे देशभक्त एवं ईमानदार नेता थे।

पूर्व विधायक राजमणि पाण्डेय, समाजवादी चिन्तक चन्द्रभूषण मिश्र, विधायक कविन्द्र चौधरी अतुल, मो. स्वालेह, निर्मल सिंह आदि ने जेपी बाबू को नमन् करते हुए कहा कि महज 18 साल की उम्र में 1920 में जेपी का विवाह ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती से हुआ। कुछ साल बाद ही प्रभावती ने ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया और अहमदाबाद में गांधी आश्रम में राष्ट्रपिता की पत्नी कस्तूरबा के साथ रहने लगीं। जेपी ने भी पत्नी के साथ ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया। जयप्रकाश नारायण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ थे। 1974 में पटना में छात्रों ने आंदोलन छेड़ा था। आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम देने की शर्त पर उन्होंने इसकी अगुआई की। इसी दौरान देश में सरकार विरोधी माहौल बना तो इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी। जेपी भी जेल गए और करीब सात महीनों तक सलाखों के पीछे रहे। उनकी तबीयत भी उन दिनों खराब थी, लेकिन जो सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया, उसने देश में लोकतंत्र की बहाली दोबारा सुनिश्चित कर दी।