Breaking: सुप्रीम कोर्ट का समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से इनकार

समलैंगिक शादियों को मान्‍यता देने पर 5 जजों का 3-2 से फैसला

नई दिल्‍ली: देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया। SC ने कहा कि ये विधायिका का अधिकार क्षेत्र है। ये फैसला शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने 3-2 से सुनाया। सेम सेक्स मैरिज पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकती।”

सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपना फैसला सुनाते हुए समलैंगिक शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, उनकी राय में संसद को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में फैसला करना चाहिए। उन्होंने समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए केंद्र और पुलिस बलों को कई दिशा-निर्देश भी जारी किए। CJI के फैसले के बाद जस्टिस संजय किशन कौल ने भी समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों की वकालत की।

समलैंगिक विवाह पर चार जजों सीजेआई, जस्टिस कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने बंटा हुआ फैसला सुनाया। जस्टिस हिमा कोहली भी इस बेंच का हिस्सा हैं। हालांकि, सीजेआई ने समलैंगिक जोड़े को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है। सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं। हालांकि, जस्टिस भट्ट ने कहा कि वे समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने की अनुमति देने वाली सीजेआई की राय से असहमत हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ के फैसले का निष्कर्ष

इस न्यायालय को मामले की सुनवाई करने का अधिकार है।

समलैंगिकता एक प्राकृतिक घटना है, जो भारत में सदियों से ज्ञात है। यह न तो शहरी है और न ही संभ्रांतवादी।

विवाह एक स्थायी संस्था नहीं है।

एक कमेटी बनाई जाए, जो राशन कार्डों में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, संयुक्त बैंक खाते के लिए नामांकन करने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि से मिलने वाले अधिकार सुनिश्चित करने के मामलों पर विचार करेगी।

CJI ने कमेटी बनाने के सुझाव को माना

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम समलैंगिक व्यक्तियों के अधिकारों पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों सहित एक समिति गठित करने के केंद्र के सुझाव को स्वीकार करते हैं। समिति इस बात पर विचार करेगी कि क्या समलैंगिक पार्टनर को राशन कार्ड, चिकित्सा निर्णय, जेल यात्रा, शव प्राप्त करने के अधिकार के तहत परिवार माना जा सकता है? आईटी अधिनियम के तहत वित्तीय लाभ, ग्रेच्युटी, पेंशन आदि पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट दी जाएगी और लागू की जाएगी।