लखनऊ: लखनऊ में पहली बार गर्मी और सूखे से निजात दिलाने के उद्देश्य से आर्टिफिशियल रेन यानी कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। फिलहाल, ये एक तरीके का ट्रायल रन ही होगा। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इसे मार्च के अंतिम सप्ताह में शहर में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।
खास बात ये है कि क्लाउड सीडिंग से होनी वाली इस बारिश के पीछे पूरी तरह भारतीय तकनीकी है। आईआईटी कानपुर के छह वरिष्ठ विशेषज्ञों द्वारा इसे विकसित किया गया है। सही मायने में आईआईटी परिसर के बाहर पहली बार से अमल में लाया जा रहा हैं। अभी तक देश के अन्य राज्यों में जहां कही भी आर्टिफिशियल रेन कराई गई हैं, उसी विदेशी कंपनियों के सहारे ही अमल में लाया गया हैं।
लखनऊ से शुरू होगी नायाब पहल
आईआईटी कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने एक मीडिया पोर्टल से बातचीत में बताया कि कृत्रिम बारिश के प्रोजेक्ट पर लंबे समय से संस्थान के विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। कोरोना के दौर से पहले ही इस पर काम शुरू किया गया था। अब पूरी तरह से अमल में लाने से पहले ट्रायल कराया जाएगा। इसी महीने लखनऊ में ‘आर्टिफिशियल रेन’ करने की तैयारी हैं। राहत विभाग से अनुमति मिलने के बाद इसे लखनऊ में कराया जा रहा हैं। यहां पर सफल इम्प्लीमेन्टेशन के बाद भविष्य में इसके रेगुलर यूज पर काम किया जा सकेगा।
लखनऊ में महानिदेशक नागर विमानन ने 27 अक्टूबर को ही कृत्रिम बारिश के परीक्षण की अनुमति दे दी है। परीक्षण के लिए एक विशेष विमान व उपकरणों की आवश्यकता होगी, इसका इंतजाम भी हो चुका है। उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त की ओर से पिछले महीने की 13 तारीख को परीक्षण के लिए आईआईटी के विशेषज्ञों के साथ बैठक की गई।
शहर के इन क्षेत्रों में होगी बारिश
लखनऊ के हजरतगंज, नक्खास से लेकर अमीनाबाद, आशियाना, कृष्णानगर, आलमबाग, दिलकुशा वृंदावन कालोनी, इंदिरा नगर समेत कई इलाकों में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।