मदरसा एजुकेशन एक्ट असांविधानिक: हाईकोर्ट

लखनऊ: यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असांविधानिक करार दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है। जबकि धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का अंग है। कोर्ट ने राज्य सरकार से मदरसे में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में तत्काल समायोजित करने का निर्देश दिया है। साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि छह से 14 साल तक के बच्चे मान्यता प्राप्त संस्थानों में दाखिले से न छूटें। बता दें की प्रदेश में कुल 16512 मान्यता प्राप्त मदरसे है। इनमें से 560 सरकार से अनुदानित हैं तो वहीँ, 8500 के करीब गैर मान्यता प्राप्त हैं।

हाईकोर्ट के फैसले का भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष बासित अली ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले से बच्चों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मदरसों के हालात में बदलाव होना चाहिए। मदरसों में आज भी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। वहीँ, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।