बीजेपी पर उमर अब्दुल्ला ने कसा तंज, कहा- उनके पास 400 नहीं, सिर्फ 240 सीटें हैं

Omar Abdullah: नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी को अपना रवैया बदलना चाहिए और ऐसा व्यवहार करना बंद करना चाहिए कि मानो उसने लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीती हों। उमर ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के समापन के बाद संसद में विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ व्यवहार के बारे में पूछे जाने पर कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा में विपक्षी नेताओं के भाषणों के कुछ हिस्सों को निकाल दिया जाना ठीक नहीं है।

मेहदी के भाषण का एक हिस्सा हटाया गया

उमर ने कहा, ‘जहां तक ​​संसद का सवाल है, (नेशनल कॉन्फ्रेंस के श्रीनगर से सांसद आगा सैयद) रूहुल्लाह मेहदी स्वयं लोकसभा अध्यक्ष के कदम का शिकार हुए हैं। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद उनके भाषण का एक हिस्सा इसलिए हटा दिया गया क्योंकि अध्यक्ष उनसे खुश नहीं थे। बीजेपी के आग्रह पर विपक्ष के नेता के भाषण का एक हिस्सा हटा दिया गया। यह ठीक नहीं है। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है।’ जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि किसी सदस्य के भाषण में कोई गाली या अनुचित शब्द नहीं हैं, तो इन बातों को रिकॉर्ड से नहीं हटाया जाना चाहिए था।

‘BJP के पास 400 नहीं, सिर्फ 240 सीटें हैं

उमर ने कहा, लेकिन बीजेपी को कौन याद दिलाए कि वे 400 सीटों की बात तो करते थे, लेकिन 240 भी पार नहीं कर पाए। बीजेपी को कुछ हद तक अपना रवैया बदलना चाहिए। वे ऐसे बात करते हैं जैसे लोकसभा में उनके 400 सदस्य हों। उनके पास केवल 240 हैं। हमें उम्मीद है कि विपक्ष और उसके सदस्यों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाएगा।’ कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के बारे में बात करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर का जिक्र नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसमें संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव समय पर नहीं होंगे।

‘PM ने चुनाव के लिए भरोसा दिलाया था

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘हम हमेशा यह उम्मीद क्यों रखें कि प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर के बारे में बात करेंगे? कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री यहां आए, योग किया और लोगों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही चुनाव होंगे और लोग अपनी सरकार चुनेंगे। उसके बाद संदेह की गुंजाइश कहां रह जाती है?’