कर्मचारी हितों के प्रतिकूल नहीं है योगी सरकार का बजट: शशि कुमार मिश्रा

UP Budget 2024-25: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आज 7,36,437.71 करोड़ रुपये का बजट विधानसभा में पेश किया। इस बजट पर अब प्रतिक्रियाएँ आना शुरू हो गई हैं। उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा ने कहा है की राज्य सरकार का यह बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक है, पूरे बजट में कर्मचारियों के हित के लिए कोई घोषणा नहीं हैं।

उन्होने कहा, पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। सरकार आमजन के लिए अनेक योजनाएं लेकर आ रही है लेकिन सभी के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार भी लागू किया जाना जनहित में है। आपदा काल में प्रदेश का सरकारी कर्मी और फार्मा उद्योग ने बड़ी जनहानि को रोका था, प्रदेश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, लेकिन इस बजट भाषण में वित्त मंत्री द्वारा एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया।

शशि कुमार मिश्रा ने कहा की कर्मचारी सरकार की नीतियों का पालन करता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता है। अधिकांश सरकारी कर्मी इस देश के मध्यम वर्ग का नागरिक हैं जो देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा इनक्म टैक्स देने वाला होता है और सबसे ईमानदारी के साथ आयकर का भुगतान करता है इसलिए हमेशा यह आशा रहती है कि सरकार अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ ना कुछ राहत देगी और उनके विकास के लिए कुछ ना कुछ योजना लेकर आएगी!

उन्होने कहा, आज के इस बजट में देश के प्रदेशों में तीसरी सरकार के रूप में स्थापित नगर निकाय, स्थानीय निकायों के कर्मचारियों व अन्य सेवाओं के कर्मचारियों के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कहा गया, वहीं यहां की सारी सेवायें आज प्राईवेट सेक्टर में समाहित हो रही,जो सेवाएं स्थायी रूप से चलती है,उन पर भी प्राईवेट सेक्टर हावी है, जैसे सफाई व्यवस्था, पानी,सीवर,विजली, कूड़ा निस्तारण,कर निर्धारण आदि। आज प्रदेश के निकाय कर्मियों की सेवा नियमावली आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी नहीं बन सकी, जिससे नागर निकाय के कर्मचारियों को उनकी सेवा सम्बधी लाभ, पदोन्नति के अवसर समय से नहीं प्राप्त हो रहे और वह जिन पदों पर सेवा में आते हैं उसी पर सेवा निवृत्त हो रहे,वर्ष 2005 से कार्यरत कर्मचारियों को पुरानी पेंशन भी नहीं दी जा रही, आज निकायों में आम जनमानस की सेवाओं को बेहतर ढंग से देने हेतु बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। बजट में स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है, कर्मचारी कल्याण की घोषणा नहीं हुई है अतः यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल नहीं है।