नई दिल्ली: असम और अरुणाचल प्रदेश में लोग पिछले एक महीने से बाढ़ से जूझ रहे हैं और अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं। असम में करीब तीन लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और अब तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार हो रही बारिश से ब्रह्मपुत्र नदी में पानी बढ़ गया है, जिससे कुछ दिनों संभलने के बाद रविवार को बाढ़ ने फिर विकराल रूप ले लिया।
राज्य में नगांव, डिब्रूगढ़ सहित दर्जन भर जिले पानी में डूब गए। लोगों के घरों में घुटनों पानी भरा है। एनडीआरएफ की टीमें उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रही हैं। वहीं, गुजरात के सूरत में भी तूफान ने भारी तबाही मचाई। बड़ी संख्या में पेड़ गिरने से कई रास्ते बंद है। बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सोमवार दोपहर नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। पुलिस प्रशासन ने तप्तकुंड खाली करा दिया है। यहां से नदी का जलस्तर मात्र छह फीट नीचे रह गया है। नारद शिला और वारहशिला पानी में डूब चुके हैं।
अलकनंदा का जलस्तर बढ़ने लगा
पुलिस ने पूरे धाम में यात्रियों व स्थानीय लोगों को अनाउंस कराकर सतर्क किया। साथ ही तप्तकुंड को भी खाली करा दिया गया है। ऊपरी क्षेत्रों में हो रही बारिश से पिछले कुछ दिनों से अलकनंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सोमवार को अपराह्न बदरीनाथ धाम में अलकनंदा का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा। देखते ही देखते पानी तप्तकुंड के पास बहने लगा। शाम साढ़े छह बजे तक तप्तकुंड से मात्र छह फीट नीचे अलकनंदा बह रही थी। जबकि सामान्य दिनों में अलकनंदा तत्पकुंड से करीब 15 फीट नीचे बहती है।
जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा
देश में जुलाई के महीने में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। अत्यधिक बारिश से पश्चिमी हिमालयी राज्यों और मध्य भारत के नदी किनारे वाले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को यह पूर्वानुमान व्यक्त किया। साथ ही यह भी बताया कि जून के महीने में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश हुई है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूरे देश में जुलाई में औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है। यह 28.04 सेंटीमीटर दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) के 106 फीसदी से अधिक है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और उत्तर पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्व प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिंस्सों में सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
आईएमडी प्रमुख ने कहा कि पश्चिमी हिमालयी राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा के अनुमान का मतलब है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के साथ ही पश्चिमी हिमालय के तराई वाले इलाकों में अत्यधिक वर्षा होगी। यह ऐसा क्षेत्र है जहां भारी बरसता के चलते बादल फटने की घटनाएं, भूस्खलन और बाढ़ का ज्यादा खतरा होता है। इन राज्यों से कई प्रमुख नदियां भी निकलती हैं। मध्य भारत में अधिक वर्षा से गोदावरी, महानदी और अन्य कई नदियों में बाढ़ आने का खतरा है।