लविवि में आयोजित की गई कार्यशाला, इस अधिनियम के बारे में किया गया जागरूक

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय की प्रतिष्ठित संस्था विधिक सहायता केंद्र व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर (डॉ.) बी.डी. सिंह एवं विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ. आलोक कुमार यादव के कुशल मार्गदर्शन में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यशाला को सफलतापूर्वक आयोजित करवाया गया।

कार्यशाला 29 फ़रवरी ,2024 को पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित की गई थी। विधिक सहायता केंद्र “सभी के लिए न्याय तक समान पहुंच” सुनिश्चित करने के उद्देश्य से काम करता है और विधिक साक्षरता और जागरूकता प्रदान करके इस दिशा में सक्रिय प्रयास करता है। आज के जागरूकता कार्यक्रम का विषय “कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013” था। कार्यशाला का उद्देश्य इस अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाना था, जिसका उद्देश्य निवारक, निषेधात्मक और साथ ही उपचारात्मक उपायों को सुनिश्चित करके प्रत्येक महिला को उत्पीड़न से मुक्त एक सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण प्रदान करना है।

इस कानून ने भारतीय महिलाओं को कार्यस्थल पर अपने अधिकारों के लिए खड़े होने में सक्षम बनाया है और यह किसी भी भेदभाव और शोषण से मुक्त, अधिक न्यायसंगत और उचित कार्यस्थल वातावरण बनाने में एक अहम कदम है। गरिमा भारद्वाज विधि सहायता केंद्र के सदस्य द्वारा की गई, जिन्होंने दर्शकों को अधिनियम के बारे में और इसके बारे में ज्ञान रखने के महत्व के बारे में बताया। दर्शकों को विषय पर अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। सत्र को रिया गौतम ने आगे जारी रखा, जिसमें उन्होंने भंवरी देवी की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी और विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य के मामले में ऐतिहासिक फैसले का विस्तृत वर्णन किया, जिसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशाखा दिशानिर्देश निर्धारित किए गए थे।

तत्पश्चात कोमल तिवारी ने आगे छात्र-छात्राओं को महिलाओं के यौन उत्पीड़न की क्रमशः धारा 2 खंड (ध), (न) और (क) में परिभाषित “यौन उत्पीड़न”, “कार्यस्थल”, “पीड़ित महिला” जैसी बुनियादी शब्दावली के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने शिकायत समितियों की संरचना के बारे में आगे बताया और इस तथ्य पर जोर दिया कि अधिनियम के अनुसार सभी कार्यस्थलों पर शिकायत समितियों के स्थापना कानूनी रूप से अनिवार्य है। अंत में, सुश्री श्वेता सिंगर ने शिकायत प्रक्रिया और नियोक्ता के कर्तव्यों के बारे में बताया। सत्र का समापन विधिक सहायता केंद्र के छात्र संयोजक रोशनी ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन देकर किया।