नई टीम के साथ उतरेंगे मोदी, 70 सांसदों के कटेंगे टिकट!

नई दिल्ली: केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में लगी बीजेपी ने अपने लोकसभा उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए कड़ी मशक्कत की है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिन सांसदों का प्रदर्शन ठीक नहीं रही है उनका टिकट बिना किसी झिझक के काट दिया जाएगा. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि हर सीट पर कमल लड़ रहा है. कम से कम 60-70 मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, तीन बार जीत चुके और उम्रदराज कई सांसदों की जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा. हालांकि ज्यादा ओबीसी सांसदों के टिकट नहीं काटे जाएंगे. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के 303 में से 85 ओबीसी सांसद जीत कर आए थे. नमो ऐप पर जनता से सांसदों के बारे में फीडबैक लिया गया. अपने-अपने क्षेत्र में तीन सर्वाधिक लोकप्रिय बीजेपी नेताओं के नाम पूछे गए हैं.

सर्वे करने वाली एजेंसियों से हर संसदीय क्षेत्र की रिपोर्ट मांगी गई

पिछले दो सालों से बीजेपी सांसदों से लगातार उनके काम के बारे में रिपोर्ट मांगी गई. सर्वे करने वाली एजेंसियों से हर संसदीय क्षेत्र की रिपोर्ट मांगी गई. बीजेपी शासित राज्यों में हर संसदीय क्षेत्र में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है. इन मंत्रियों से कहा गया कि वे लोकसभा सीटों का दौरा कर सांसदों के बारे में रिपोर्ट लें. मंत्रियों और संगठन से मिली रिपोर्ट को प्रदेश स्तर पर चुनाव समिति की बैठक में रखा गया. साथ ही संगठन महासचिवों ने आरएसएस का भी फीडबैक रखा गया.

बीजेपी ने राज्यों की चुनाव समितियों की बैठकों में हर संसदीय सीट पर उम्मीदवारों के नामों का पैनल तैयार किया है. दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले हर राज्य के कोर ग्रुप की बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बी एल संतोष के साथ बैठक हुई. इन बैठकों में हर सीट पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की चर्चा हुई.

बीजेपी ने हर सीट के हिसाब से रणनीति तैयार की

केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री निवास पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा की लंबी बैठक हुई. इस बैठक में भी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई और उसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्यवार उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई. बीजेपी ने हर सीट के हिसाब से रणनीति तैयार की है. क्राइटेरिया यह देखा गया कि हर सीट को जीतने के लिए सबसे बेहतरीन उम्मीदवार कौन हो सकता है. अगर दूसरी पार्टी का है तो उसे बीजेपी में लाने के लिए पूरा जोर लगाया गया. इसके लिए बाकायदा हर राज्य में और केंद्रीय स्तर पर ज्वाइनिंग समितियां बनाई गईं.