पंजाब सरकार Vs राज्यपाल: SC ने राज्‍यपाल को लगाई फटकार, कहा- जून में हुआ सत्र संवैधानिक रूप से वैध

नई दिल्‍ली/चंडीगढ़: पंजाब सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के खिलाफ दायर याचिका पर निर्णय आ गया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 19 और 20 जून को रखे गए विधानसभा के सत्र को संवैधानिक रूप से वैध बताया है।

संविधान पीठ ने कहा कि राज्यपाल को अब सहमति के लिए प्रस्तुत बिलों पर फैसला लेने के लिए आगे बढ़ना चाहिए, जोकि 19 और 20 जून को आयोजित सदन में पारित किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पीकर के पास सत्र स्थगित करने का अधिकार है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र को अनिश्चित काल तक स्थगित रखना भी सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्‍यपाल को लगाई फटकार

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों से कहा कि हमारा देश स्थापित परंपराओं चल रहा है और उनका पालन करने की जरूरत है। कोर्ट ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को फटकार लगाई और विधानसभा सत्र को असंवैधानिक करार देने पर सवाल उठाया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या राज्यपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा है कि वो आग से खेल रहे हैं, अगर राज्यपाल को लगता भी है कि बिल गलत तरीके से पास हुआ है तो उसे विधानसभा अध्यक्ष को वापस भेजना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की ओर से सिंघवी ने कहा कि मौजूदा राज्यपाल के रहते विधानसभा का सत्र बुलाना असंभव सा है।

चीफ जस्टिस ने पंजाब राज्यपाल के वकील से पूछा कि अगर विधानसभा का कोई सत्र अवैध घोषित हो भी जाता है तो सदन द्वारा पास किया गया बिल कैसे गैरकानूनी हो जाएगा? अगर राज्यपाल इसी तरीके से बिल को गैरकानूनी ठहराते रहे तो क्या देश में संसदीय लोकतंत्र बचेगा? कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक मुखिया होते हैं, लेकिन पंजाब की स्थिति को देखकर लगता है कि सरकार और उनके बीच बड़ा मतभेद है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

इस विवाद को सुलझाने के लिए रास्‍ता निकाल रही केंद्र सरकार

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरे सामने राज्यपाल के लिखे दो पत्र हैं, जिसमें उन्होंने सरकार को कहा कि चूंकि विधानसभा का सत्र ही अवैध है तो वे बिल पर अपनी मंजूरी नहीं दे सकते हैं। राज्यपाल ने ये कहा कि वो इस विवाद पर कानूनी सलाह दे रहे हैं, चूंकि हमें कानून के मुताबिक ही चलना होगा। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि राज्यपाल का पत्र अंतिम फैसला नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए रास्ता निकाल रही है।

दरअसल, राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित का कहना था कि चूंकि जून महीने में बुलाया गया सत्र असंवैधानिक है, इसलिए इसमें किया गया काम भी असंवैधानिक है। वहीं, दूसरी ओर सरकार का कहना है कि चूंकि बजट सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है, इसलिए सरकार जब चाहे फिर से सत्र बुला सकती है।