नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति मामले में मंगलवार (7 मई) को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर फैसला सुनाए बिना ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच उठ गई। सुबह साढ़े 10 बजे सुनवाई शुरू होने के बाद लंच से पहले तक शीर्ष अदालत ने जमानत की शर्तें तय कर ली थीं। हालांकि, उस समय ईडी ने कहा कि केजरीवाल के वकील को तीन दिन सुना गया, हमें भी पर्याप्त समय दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत का विरोध कर रही ईडी से कहा कि चुनाव चल रहे हैं और केजरीवाल मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। चुनाव पांच साल में सिर्फ एक बार आते हैं। कोर्ट ने केजरीवाल से कहा कि हम आपको जमानत दे देते हैं तो आप आधिकारिक ड्यूटी नहीं करेंगे। हम नहीं चाहते कि आप सरकार में दखल अंदाजी करें। अगर चुनाव नहीं होते तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था।
अंतरिम जमानत पर जाएगा गलत संदेश: तुषार मेहता
वहीं, अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे। शर्त है कि एलजी किसी भी काम को इस आधार पर ना रोकें कि फाइल पर साइन नहीं है। ऐसा कुछ नहीं बोलूंगा, जो नुकसान पहुंचाने वाला हो। जबकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और आम आदमी में फर्क किया जाना सही नहीं है। राजनेताओं के लिए अलग कैटेगरी ना बनाएं। जनता के बीच गलत संदेश जाएगा।
लंच के बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि फिलहाल हम देखते हैं कि दलीलें खत्म होती हैं या नहीं। अगर नहीं तो परसों (9 मई) की डेट देंगे। अगर संभव नहीं हुआ तो अगले हफ्ते की तारीख देंगे। उधर, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी है। एक अप्रैल से वे तिहाड़ जेल में हैं।
अरविंद केजरीवाल की जमानत पर कोर्ट के 4 कमेंट
- जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा- केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं।
- यह एक अभूतपूर्व परिस्थिति है। लोकसभा चुनाव जारी हैं। वो दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं।
- अगर चुनाव नहीं चल रहे होते तो अंतरिम जमानत का सवाल ही नहीं उठता था।
- चुनाव पांच साल में सिर्फ एक बार होते हैं।
जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट की शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जमानत दी जाती है तो केजरीवाल सरकारी काम में दखल नहीं देंगे। वो अपने आधिकारिक कार्य नहीं करेंगे। ऐसा हुआ तो हितों का टकराव पैदा होगा और हम यह नहीं चाहते।
जमानत के विरोध में ईडी की दलीलें
- कोर्ट का नजरिया क्या है? आपको राजनेताओं के लिए अलग कैटेगरी नहीं बनानी चाहिए।
- देश में इस वक्त 5 हजार केस हैं जिनमें सांसद शामिल हैं। इन सभी को जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए?
- अगर कोई किसान जिसका बुवाई का सीजन चल रहा है, वो किसी सांसद से कम महत्वपूर्ण है?
- जमानत पर रिहाई दी तो यह संदेश जाएगा कि केजरीवाल ने कुछ नहीं कियाा था, लेकिन उन्हें चुनाव से पहले गिरफ्तार कर लिया गया।
- अगर उन्होंने सहयोग किया होता और 9 समन नजरंदाज ना किए होते तो शायद गिरफ्तारी ना होती।
अरविंद केजरीवाल ने मानी शर्त
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे। शर्त है कि एलजी किसी भी काम को इस आधार पर ना रोकें कि फाइल पर साइन नहीं हैं। ऐसा कुछ नहीं बोलूंगा, जो नुकसान पहुंचाने वाला हो।