लुम्बिनी में अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम में DDU के आचार्यों-शोधकर्ताओं ने प्रस्तुत किये शोधपत्र

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्यों एवं शोधकर्ताओं ने नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिन्तन एवं सतत विकास, योग तथा मानवीय दर्शन तथा भारत-नेपाल संबंध जैसे समकालीन विषयों पर अपने विचार रखे।

कुलपति प्रो पूनम टंडन के दिशानिर्देशन में विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग तथा दर्शनशास्त्र विभाग के आचार्यों एवं शोध छात्रों का एक 30-सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल नेपाल के लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय में ‘एशियाई प्राकृतिक दर्शन: प्रकृति और सभ्यता’ ‘Asian Natural Philosophy: Nature and Civilization’ विषय पर आयोजित 5th International Symposium (15-17 Feb 2024) में सहभागिता कर रहा है।

प्राचीन इतिहास विभाग के प्रो. डी.एन.दूबे तथा डॉ.रामवंत गुप्ता (निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय प्रकोष्ठ) के नेतृत्व में डॉ पद्मजा सिंह, डॉ मणिन्द्र यादव, डॉ विनोद कुमार, डॉ संजय कुमार तिवारी, डॉ दीपक कुमार गुप्ता एवं शोधार्थियों का दल संगोष्ठी में प्रतिभाग कर रहा है। पहले दिन उद्घाटन सत्र के उपरान्त विश्वविद्यालय के सहायक आचार्यों में डॉ संजय कुमार तिवारी, डॉ दीपक कुमार गुप्ता, डॉ विनोद कुमार, एंव शोधार्थियों में अर्चना, नेहा मिश्रा, रूबी नायक, प्रफुल्ल चन्द्र, कुंवर सिंह ने कुल आठ शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन शोध पत्रों में प्रमुख रूप से योग दर्शन को स्वास्थ्य से जोड़ते हुए योग की प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया तथा मानवीय दर्शन पर विस्तार से चर्चा की गयी।

इसके साथ शोध पत्रों में बौद्ध धर्म में पर्यावरण चिन्तन एवं सतत विकास को विश्लेषित किया गया तथा भारत और नेपाल के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सम्बन्धों के आधार पर यह स्थापित किया गया कि दोनों देश राजनीतिक सीमा को छोड़कर पूर्णतः समान हैं। इस संगोष्ठी में भारत, नेपाल, चीन, कोरिया एवं अन्य देशों के प्रतिभागियों ने शोध आलेखों पर अनेक प्रश्न किये जिसका समुचित उत्तर आचार्यों एवं शोधार्थियों द्वारा दिया गया।