लखनऊ : कानपुर में प्रगति रिपोर्ट लगवाने के लिए बाबू पुरवा एसीपी के ऑफिस पहुंचे रिंकू की मुलाकात हेड कांस्टेबल शाहनवाज से हुई. उसने काम के एवज में 15 हजार मांगे. मुजफ्फरनगर में भूमाफिया से सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए सदर तहसील के लेखपाल पंकज ने 10 हजार की घूस मांगी. हमीरपुर में PWD विभाग के अवर अभियंता ने ठेकेदार से सिक्योरिटी मनी निकालने के लिए 10 हजार की मांग की. बीते एक माह में सूबे कई जिलों में इस तरह के मामले सुर्खियों में रहे. यूपी भ्रष्टाचार निवारण संगठन और विजिलेंस विभाग ने एक महीने में करीब 40 सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथ पकड़ा.
इस महीने की घटनाओं पर एक नजर : 11 सितम्बर को उन्नाव के सफीपुर थाने में हेड कांस्टेबल चालक वीरेंद्र कुमार यादव को भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने 5 हजार रुपये की घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. कांस्टेबल ने शिकायतकर्ता से लकड़ी कटवाने के नाम पर घूस मांगी थी.
11 सितंबर : भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने वाराणसी के सोसाइटी एवं चिट्स विभागके प्रधान सहायक अरविन्द कुमार गुप्ता को 4000 रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया. अरविंद शिकायतकर्ता से संस्था का नवीनीकरण प्रमाणपत्र देने के लिए घूस मांग रहे थे.
10 सितंबर : कानपुर के बाबू पुरवा एसीपी के कार्यालय में तैनात हेड कांस्टेबल शहनवाज को 15 हजार रूपये घूस लेते गिरफ्तार किया गया. आरोपी शहनवाज पीड़ित से प्रगति रिपोर्ट लगाने के नाम पर घूस मांग रहा था.
10 सितंबर : कानपुर विकास प्राधिकरण के बेलदार नीरज मेल्होत्रा को 10 हजार की घूस लेते विजिलेंस ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया. आरोपी नीरज रजिस्ट्री करवाने के एवज में दीपेंद्र कुमार से घूस मांग रहा था.
9 सितंबर : भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने अमेठी में उप जिलाधिकारी के पेशकार योगेश कुमार श्रीवास्तव को 5 हजार रुपये लेते गिरफ्तार किया. पेशकार ने स्टे खारिज करने के लिए रिश्वत मांगी थी.
7 सितंबर : जौनपुर के मछली शहर कोतवाली के दीवान रंजन गुप्ता को 1500 रुपये घूस लेते पकड़ा गया. रंजन पासपोर्ट पर रिपोर्ट लगाने के नाम पर रिश्वत मांग रहा था.
6 सितंबर : जिला बहराइच में राजस्व लेखपाल दाखिल खारिज की रिपोर्ट लगाने के लिए शिकायतकर्ता से तीन हजार रुपये घूस ले रहा था. भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
4 सितंबर : भ्रष्टाचार निवारण संगठन की बस्ती यूनिट ने संतकबीर नगर के लेखपाल को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया. लेखपाल किसान से जमीन की पैमाइश के लिए पैसे मांग रहा था.
राजस्व-पुलिस विभाग सबसे ज्यादा भ्रष्ट : सितम्बर के 11 दिनों के 13 मामलों में 7 गिरफ्तारी इस बात की गवाह है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार किस कदर घर कर चुका है. प्रार्थी यदि किसी भी सरकारी विभाग में अपने काम के लिए जाता है तो वहां बिना सुविधा शुल्क लिए काम नहीं होता है. ट्रैप होने वालों में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा लेखपाल और पुलिसकर्मियों के बीच ज्यादा रही है. घूस लेते गिरफ्तार किए गए आरोपियों में 40 फीसदी राजस्वकर्मी और 21 फीसदी पुलिस विभाग के कर्मचारी रहे है.
एक माह में घूसखोरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई : बीते दिनों निषाद पार्टी के अध्यक्ष व योगी सरकार के मंत्री संजय निषाद और अपना दल के नेताओं ने यूपी के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को लेकर कई बार खुले मंच पर अपनी आवाज बुलंद की थी. विपक्ष ने योगी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लिहाजा अचानक अगस्त माह में विजिलेंस और भ्रष्टाचार निवारण संगठन एक्टिव हुई और एक के बाद एक घूसखोर बाबुओं, इंजीनियर, पुलिसकर्मियों को रंगे हाथ पकड़ा. बीते एक माह में पुलिस विभाग के 10 कर्मी, 18 राजस्व कर्मी, शिक्षा विभाग के तीन, स्वास्थ्य विभाग के दो, लोक निर्माण विभाग के दो और अन्य विभाग के 5 कर्मचारियों को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया.
घूसखोरी हर समय थी, कार्रवाई अब तेज हुई है : पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इस सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा है और पिछली सरकारों में कम था. ये जरूर है कि बीते दिनों विजिलेंस और भ्रष्टाचार निवारण संगठन ने तेजी से कार्रवाई की. यह भी जानना जरुरी है कि जिस पेशकार को घूस लेते गिरफ्तार किया जा रहा है वो ले किसके लिए रहा था. ऐसा संभव नहीं कि उसका अधिकारी इससे अनभिज्ञ हैं. ऐसे में इन छोटे-छोटे कर्मचारियों कि धड़ पकड़ से भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा. बड़े अफसरों पर हाथ डालना होगा. पूर्व डीजीपी कहते हैं कि हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले सरकारों कि अपेक्षा घूसखोरों को अधिक ट्रैप किया जा रहा है.
18 विभाग के कर्मचारी हुए हैं ट्रैप : बीते एक माह में हुई घूसखोरों गिरफ्तारी के आंकड़ों के अलावा यदि हम बीते पांच वर्षो में हुई कार्रवाई की बात करें तो उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार निवारण संगठन और विजलेंस ओर से कुल 18 प्रमुख विभागों के कर्मचारियों को ट्रैप किया गया. इसमें राजस्व, पुलिस, शिक्षा, आवास विकास, ग्रामीण अभियंत्रण, पंचायतीराज, कोषागार, नगर निगम, लोक निर्माण, वित्त निगम, गन्ना, यूपी पावर कॉर्पोरेशन, चिकित्सा, वन विभाग, बाट एवं माप, चिट्स फंड, परिवहन विभाग और विकास प्राधिकरण शामिल हैं.
24 फीसदी लेखपाल तो 15 फीसदी पुलिसकर्मी फंसे : आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019 से 2024 तक कुल 412 कर्मचारियों व अधिकारियों को घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा गया है. इनमें 102 लेखपाल शामिल है जो कुल पकड़े गए कर्मियों में 24 फीसदी है. दूसरा नंबर पुलिस विभाग का है. इन पांच वर्षों में 63 पुलिसकर्मियों को ट्रैप किया गया है, जो कुल गिरफ्तार किए गए कर्मियों का 15 फीसदी है. वहीं अन्य 16 विभाग के 247 कर्मचारी व अधिकारी घूस लेते गिरफ्तार किए गए हैं.
हर रोज दर्जनों लेखपाल व पुलिस की आती हैं शिकायतें : उत्तर प्रदेश एंटी करप्शन संगठन (ACO) के डीआईजी अखिलेश चौरसिया के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एसीओ) की 18 यूनिट कार्यरत है. एसीओ के हेल्पलाइन नम्बर, ईमेल और शिकायती पत्र के माध्यम से रोजाना दर्जनों घूस मांगने की शिकायते प्राप्त होती हैं. इसमें सबसे अधिक शिकायतें राजस्व विभाग और पुलिस से जुड़ी होती हैं. डीआईजी के मुताबिक जांच के बाद मुख्यालय व रेंज यूनिट जाल बिछाती है. घूस लेने वाले कर्मियों व अधिकारियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया जाता है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 को धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई जाती है.
ACO की 18 यूनिट में ऐसे करें शिकायत : डीआईजी अखिलेश चौरसिया ने बताया कि, उत्तर प्रदेश में 18 रेंज हेडक्वार्टर पर एंटी करप्शन ऑर्गनाइेजेशन की यूनिट काम कर रही है. ये लखनऊ, कानपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, बांदा, झांसी, अयोध्या, गोरखपुर, आगरा , प्रयागराज, वाराणसी, प्रयागराज, आजमगढ़, गोंडा, बस्ती, मिर्जापुर, सहारनपुर और अलीगढ़ है. डीआईजी के मुताबिक, आम जनता जब किसी भी कार्य के लिए सरकारी विभाग जाती है और वहां उससे घूस मांगी जाती है तो तत्काल इसकी सूचना एंटी करप्शन संगठन को दे सकता है. इसके लिए विभाग की ओर से 9454402484 और 9454401887 जारी किए गए हैं. कोई भी पीड़ित इन नंबरों में शिकायत दर्ज कराकर गोपनीय जांच करा सकता है.
घूसखोर को पकड़ने के लिए बिछाया जाता है फुल प्रूफ जाल : भ्रष्टाचार निवारण संगठन की 18 यूनिट में डिप्टी एसपी रैंक के अफसर तैनात हैं. घूस मांगने की शिकायत मिलने पर मुख्यालय में तैनात एसपी के आदेश के बाद डिप्टी एसपी घूस मांगने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए ट्रैप करते हैं, इसके लिए शिकायतकर्ता को केमिकल लगे हुए नोट दिए जाते हैं. इसके बाद शिकायतकर्ता को घूस मांगने वाले कर्मी या अधिकारी के द्वारा बुलाए गए स्थान पर जाने के लिए कहा जाता है.
एसीओ की टीम के लोग पहले से ही वहां मौजूद रहते हैं. जैसे ही शिकायतकर्ता कर्मचारी या अधिकारी को घूस की रकम देता है तो कैमिकल लगे नोटों को छूने से घूस मांगने वाले कर्मचारी के हाथों में केमिकल लग जाता है. घूस की रकम पकड़ते ही एसीओ की टीम कर्मचारी को धर दबोचती है. इविडेंस के लिए घूस लेने वाले के हाथ कैमिकल में डाले जाते हैं तो पानी गुलाबी हो जाता है. इसके बाद यूनिट एंटी करप्शन थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 को धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज कराती है लेकिन इसकी जांच एंटी करप्शन यूनिट के इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी करते हैं.